/ Sep 09, 2025
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NEPAL POLITICAL CRISIS: नेपाल इन दिनों गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जनरेशन जेड’ (Gen Z) के नेतृत्व में शुरू हुआ आंदोलन हिंसक विरोध प्रदर्शनों में बदल गया है। इस माहौल में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के साथ ही प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और नेताओं के घरों में आगजनी की, जबकि काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है। राजधानी में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल और पीएम ओली के निजी आवासों तक को निशाना बनाया गया।
प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्होंने यह कदम “समस्या के राजनीतिक समाधान” के लिए उठाया है। उनके सहायक प्रकाश सिलवाल ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 77(1) के तहत इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया गया। इससे पहले सोमवार को राजधानी में भड़की हिंसा में 19 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति पौडेल के आवास पर हमला कर आग लगा दी और पीएम ओली के भक्तपुर स्थित घर को भी जला दिया। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ और संचार मंत्री प्रिथ्वी सुभ्बा गुरुंग के घरों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
विरोध प्रदर्शनों का सबसे बड़ा असर संसद भवन पर दिखा। प्रदर्शनकारियों ने मिनभवन स्थित संसद परिसर पर हमला कर उसे आग के हवाले कर दिया। वहां से उठता धुआं राजधानी भर में फैल गया। नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालयों को भी आग लगा दी गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए गोलियां चलाईं, लेकिन कर्फ्यू के बावजूद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और पुलिस पर पत्थर बरसाए।
त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी आगजनी और धुएं से प्रभावित हुआ। सुरक्षा कारणों से सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं। एयर इंडिया ने दिल्ली-काठमांडू की कई फ्लाइट्स को रद्द करने की घोषणा की। हवाई अड्डा प्रबंधन ने यात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने की सलाह दी है।
सोशल मीडिया पर नेपाल में तख्तापलट की खबरें वायरल हो रही हैं, लेकिन अभी तक किसी विश्वसनीय स्रोत ने इसकी पुष्टि नहीं की है। सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने ओली को इस्तीफा देने की सलाह जरूर दी थी, लेकिन सैन्य हस्तक्षेप की आधिकारिक जानकारी नहीं है। विशेषज्ञ इसे युवाओं के नेतृत्व वाले एक जन-आंदोलन के रूप में देख रहे हैं, जो सोशल मीडिया प्रतिबंध से शुरू होकर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ एक बड़े आक्रोश में बदल गया है।
यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब 4 सितंबर को सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स और यूट्यूब सहित 26 प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। इस दौरान नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफस्टाइल के वीडियो वायरल हुए, जिसने गुस्से को और हवा दी। हालांकि सरकार ने मंगलवार को प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन तब तक विरोध एक व्यापक जन-आंदोलन का रूप ले चुका था।
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