दिल्ली में भी दी मंकीपॉक्स ने दस्तक, इस मरीज की नहीं है विदेशी ट्रैवल हिस्ट्री

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दिल्ली ब्यूरो- देश की राजधानी दिल्ली में भी मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी है। दिल्ली मे मंकीपॉक्स की पहला मरीज मिला है। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि इस मरीज की कोई भी विदेशी ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। भारत में सबसे पहला मंकीपॉक्स का मामला 14 जुलाई को दर्ज किया गया था। इसके बाद 18 जुलाई और 22 जुलाई को दो और मामले दर्ज किये गये थे।

monkeypox 2

राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। अब की जानकारी के अनुसार मंकीपॉक्स संक्रमित इस मरीज की कोई विदेश ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। मरीज को दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 31 वर्षीय युवक में संक्रमण की पुष्टि करते हुए बताया है कि मरीज को तेज बुखार है और स्किन में घावों के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया है। इससे पहले तीन मामले केरल में दर्ज किये गये थे इन तीनों मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री थी जो यूएई से वापस लौटे थे। इन मरीजों के संपर्क में आये लोगों की निगरानी की जा रही है। शनिवार को ही डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना हुआ है। 76 से अधिक देशों में अब तक मंकीपॉक्स फैल गया है।

क्या है मंकीपॉक्स

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार यह बीमारी 1958 में पहली बार सामने आई थी। रिसर्च के लिए रखे गये बंदरों में यह संक्रमण देखा गया था। इन बन्दरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण देखे गये थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 के सामने आया था। कॉन्गो के रहने वाले एक 9 वर्षीय बच्चे पर यह संक्रमण मिला था। इसके बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित मामले दर्ज हुए। दुनिया में अफ्रीका से मंकीपॉक्स का संक्रमण फैला।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और पदार्थ, उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों से भी इस वायरस के फैलने के सबूत मिले हैं। संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर और कपड़ों के जरिये भी यह फैलता है। यह प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।

सेक्स करने से भी फैलता है यह वायरस

मंकीपॉक्स संक्रमित से यौन संबंध बनाने से भी यह वायरस फैल सकता है। समलैंगिक और बायसेक्सुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हाल ही में जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से कइयों में संक्रमण यौन संबंध से ही फैला है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को गले लगाना, किस करना और फेस- टू- फेस कॉन्टैक्ट बनाने से भी यह संक्रमण फैल सकता है।

ये है मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण 6 से 13 दिनों में दिखाई देते हैं कई बार 5 से 21 दिन में भी दिखाई देते हैं। संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिर दर्द, पीठ में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकन पॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखाई देता है। बुखार आने के तीन दिन बाद इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकलने शुरू होते हैं। ये दाने चेहरे, हाथ-पैर, हथेलियों और तलवों पर निकलते हैं। दे दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूख कर गिर जाते हैं।

कितनी खतरनाक है ये बीमारी

डब्ल्यूएचओ के अनुसार  मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। वैसे मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद 2 से 4 हफ्तों बाद लक्षण धीरे- धीरे खत्म हो जाते हैं। छोटे बच्चों में भी इस गंभीर बीमारी के संक्रमण का खतरा बना रहता है।

क्या है इसका इलाज

डब्ल्यूएचओ के अनुसार अभी मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ 85 फीसदी तक असरदार साबित हो रही हैं। लेकिन चेचक की वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। 2019 में चेचक और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए एक ही वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी।