भारत का इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, “महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग”

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Mahakaleshwar Jyotirlinga: क्यों महादेव यहां विराजमान हैं महाकाल के रूप में?

Mahakaleshwar Jyotirlinga: भगवान शिव के अनेकों रूप हैं और इन रूपों के पीछे इनकी अलग अलग कहानी भी है, इन्हीं रूपों में भगवान शिव का एक रूप काल का रुप भी है, जिसके कारण उन्हें महाकाल (Mahakaleshwar Jyotirlinga) बोला जाता है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि भगवान शिव को महाकाल (Mahakaleshwar Jyotirlinga) क्यों बोला जाता है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है देश का इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान शिव का महाकाल रुप विराजमान है जिनके दर्शन करने के लिए लोग यहां दूर दूर से आते हैं।

इस मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के बारे में जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर भगवान शिव ने महाकाल रूप कैसे धारण किया। जिस शहर को आज हम उज्जैन के नाम से जानते हैं उसे कभी उज्जैनी और अवंतिकापुरी नाम से जाना जाता था। उस समय यहां एक राक्षस हुआ करता था जिसका नाम था दूषण। पूरे शहर में दूषण के प्रकोप से लोग काफी परेशान थे।

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दरअसल दूषण को ब्रह्मा जी द्वारा कुछ शक्तियां मिली थी जिनकों इस्तेमाल कर दूषण निर्दोष लोगों को परेशान करता और उन्हें मारता। इस राक्षस के प्रकोप से परेशान होकर एक शिव भक्त ब्राह्मण ने भगवान शिव से इस राक्षस के नाश की प्रार्थना की। कई बार प्रार्थना करने के बाद भी जब भगवान शिव ने उस राक्षस का अंत नहीं किया तो शिवभक्त ब्राह्मण ने भगवान शिव से नराज होकर उनकी पूजा करना बंद कर दिया।

अपने भक्त को उदास देख भगवान शिव ने हुंकार भरी और इसी रूप में प्रकट होकर उन्होंने राक्षस दूषण का वध कर दिया। अब दूषण को पूरे शहर के लोग काल कहकर बुलाते थे और उनका वध महादेव द्वारा किया गया था तो इसी कारण महादेव का नाम पड़ा महाकाल (Mahakaleshwar Jyotirlinga).

काल की मृत्यु के बाद लोग सुकून भरी जदंगी जीने लगे थे जिसके बाद इस शहर के लोगों ने महादेव को महाकाल (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के रूप में पूजना शुरु किया और इसी स्थान पर महाकाल ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के रूप में विराजमान हुए, हालांकि इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं है कि इस मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) का निर्माण कब किया गया था।

वहीं इस मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आता है और पूजा करता है उसे कभी भी मृत्यु का डर नहीं सताता, वहीं महाकाल के सच्चे भक्तों की कभी अकाल मृत्यु भी नहीं होती। इस मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) को लेकर ये भी कहा जाता है कि जिस भी किसी की कुंडली में अकाल मृत्यु का दोष होता है तो लोग इसके निवारण के लिए बाबा महाकाल के मंदिर में विशेष पूजा करवाते है, जिसके बाद उनका ये दोष खत्म हो जाता है।

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