/ Apr 19, 2025
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MADMAHESHWAR MANDIR: उत्तराखंड के पंचकेदारों में द्वितीय केदार माने जाने वाले श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बुधवार सुबह शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस खास अवसर पर मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली भक्तों और स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊं की धुनों के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हुई। बाबा मद्महेश्वर के जयकारों के बीच भक्तों ने डोली को विदा किया। इस वर्ष 18 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
मंगलवार को कपाट बंद होने से पहले मंदिर में यज्ञ-हवन का आयोजन किया गया। बुधवार सुबह साढ़े चार बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। इसके बाद गर्भगृह में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार से समाधि स्वरूप में ले जाया गया और इसे स्थानीय फल, पुष्प और अक्षत से ढक दिया गया। शुभ मुहूर्त में पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान की उपस्थिति में मंदिर के कपाट बंद किए।
कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली बुधवार रात गौंडार में विश्राम करेगी। गुरुवार को डोली राकेश्वरी मंदिर पहुंचेगी और शुक्रवार को गिरिया में विराजमान होगी। 23 नवंबर को डोली अपने अंतिम पड़ाव श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचेगी। डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल पर पहुंचने के साथ ही भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना श्री ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू हो जाएगी। भक्त अब पूरे शीतकाल के दौरान उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
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