/ Jan 09, 2025
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JAGDEESH BAKROLA: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक और संगीतकार जगदीश बकरोला का निधन हो गया है। 70 और 80 के दशक में उत्तराखंडी लोक संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले बकरोला जी का निधन दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ। जगदीश बकरोला का जन्म पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकासखंड के अस्वालस्यूं पट्टी के ग्राम बकरोली में हुआ था। उन्होंने अपने गांव के नाम से अपना नाम बकरोला रखा। बचपन में ही वे दृष्टिहीन हो गए थे। मात्र ढाई साल की उम्र में उनकी दोनों आंखों की रौशनी चली गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी गायकी और संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान बनाई।
उनके निधन पर नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम बर्थवाण जैसे कलाकारों से साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और संगीत के क्षेत्र से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। लोक गायिका रेखा धस्माना, मीना राणा, सुनीता बिलवाल जैसे संगीत प्रेमियों ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
जगदीश बकरोला के नाम सबसे ज़्यादा औडियो केसेट निकालने का भी रिकॉर्ड है और उनके गाए गए गीतों की लिस्ट बहुत लंबी है। उनके कई गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। “सनका बांद,” “बौ हे सतपुली का सैणा मेरी बौऊ सुरीला,” “लाला मंसारामा तक चीनी भी रईं चा,” “अंग्रेजी बुलबुल,” “मि छौ मिलटरी कु छोरा,” “मेरी बौऊ सुशीला बौजी मिन कॉथिग जाणा या,” “सड़की तीर को छै घसेरी,” और “कुछ न पूछ द्यूरा मिथै जुखाम लग्यूचा” जैसे गाने आज भी सुने जाते हैं।
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