/ Jul 22, 2025
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JAGDEEP DHANKHAR RESIGN: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के बाद सामने आया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि वह चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए अपनी स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में संविधान के अनुच्छेद 67(क) का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफे की घोषणा की।
जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। इस्तीफे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति और सभी सांसदों के प्रति आभार जताया और कहा कि भारत की प्रगति का साक्षी बनना उनके लिए गौरव की बात रही। डॉक्टरों ने उन्हें लंबे आराम की सलाह दी थी। बजट सत्र के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एम्स में भर्ती भी कराया गया था। हालांकि, सोमवार को वे संसद सत्र की कार्यवाही में पूरी तरह सक्रिय रहे और स्वास्थ्य को लेकर कोई सार्वजनिक शिकायत नहीं की थी। ऐसे में इस्तीफे की टाइमिंग पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह फैसला चौंकाने वाला है और समझ से परे है। उन्होंने अपील की कि प्रधानमंत्री उन्हें मनाने की कोशिश करें। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पूछा कि एक घंटे में ऐसा क्या हुआ जो इस्तीफा देना पड़ा। शिवसेना (UBT) के नेता आनंद दुबे ने भी इसी तरह की शंका जताई। विश्लेषक आशुतोष ने इसे केवल स्वास्थ्य कारण नहीं माना। हालांकि, कपिल सिब्बल और दुरई वैको जैसे नेताओं ने धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है।
धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया। उनसे पहले वी.वी. गिरि ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस्तीफा दिया था, और कृष्ण कांत का 2002 में निधन हो गया था। संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी होता है। तब तक राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे।
राजस्थान के जाट परिवार से आने वाले धनखड़ ने वकील के रूप में करियर शुरू किया और कई हाई-प्रोफाइल केस लड़े। वे 1989-91 में सांसद और 1993-98 में विधायक रहे। 2019-2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने ममता बनर्जी सरकार से कई बार टकराव लिया। 2022 में NDA उम्मीदवार के रूप में उन्होंने मार्गरेट अल्वा को हराया और उपराष्ट्रपति बने।
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