आखिर किसने कहा ? केदारनाथ सोना दान विवाद संगठित टैक्स चोरी का मामला है..

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Uttarakhand Devbhoomi Desk: केदारनाथ गर्भगृह पर लगे सोने को लेकर उठे विवाद में कांग्रेस (Congress) ने संगठित टैक्स चोरी की आशंका जाहिर की है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के मुताबिक जब वर्ष 2005 में दिए गए सोने का रंग उतर चुका था, तो इस बार मंदिर समिति ने बिना सोने की जांच किए दानदाता को टैक्स छूट का सर्टिफिकेट कैसे दिया। ऐसे प्रकरणों की जांच के लिए एसआईटी गठित की जानी चाहिए। केदारनाथ गर्भगृह पर लगे सोने को लेकर उठे विवाद में कांग्रेस ने संगठित टैक्स चोरी की आशंका जाहिर की है।

इसी मामले में पहले भी केदारनाथ मंदिर के वरिष्ठ पुजारी संतोष त्रिवेदी ने इस घोटाले के आरोप लगाए हैं. इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुजारी ने कहा कि मंदिर का सोना पीतल में बदल गया है. उन्होंने श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) और अधिकारियों पर 125 करोड़ रुपए का घोटाला करने का इल्जाम लगाया है. दूसरी तरफ BKTC ने इन आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि, ये मंदिर प्रबंधन को बदनाम करने की साजिश है. इसमें शामिल लोगों के खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे.Indian National Congress

पूर्व कांग्रेस (Congress) प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के मुताबिक

बुधवार को उत्तराखंड कांग्रेस (Congress) के शीर्ष नेतृत्व ने एक मंच पर आकर मंदिर समिति पर सवाल उठाए। पूर्व में बीकेटीसी के अध्यक्ष रह चुके गणेश गोदियाल ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान भी मुंबई के उक्त कारोबारी ने उनके सामने आयकर छूट के बदले बद्रीनाथ मंदिर को 500 किलो सोना देने का प्रस्ताव रखा था। तब उक्त व्यापारी ने बताया कि उन्होंने 2005 में भी मंदिर समिति को 50 किलो सोना दिया था, लेकिन मंदिर समिति द्वारा टैक्स छूट का सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।

गोदियाल (Congress) के मुताबिक बाद में उन्होंने बद्रीनाथ पहुंच देखा की गर्भगृह के बाहरी खंबों पर लगा सोना तांबा बन चुका था। संदेह होने पर उन्होंने इस बार व्यापारी के सामने शर्त रखी कि वो एमएमटीसी से प्रमाणित सोना दें. इस पर व्यापारी अपनी बात से मुकर गया।

नियम के तहत दिया गया दान – BKTC 

मंदिर समिति ने बताया कि दान देने वाले व्यापारी को नियम के तहत ही अनुमति दी गई थी. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम, 1939 में इस तरह के दान देने की छूट है. दानदाता ने 230 किलोग्राम सोना दान किया है. केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोना चढ़ाने की उसकी लंबे समय से इच्छा थी. इस फैसले को राज्य सरकार ने भी माना था. भारत पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में ही सोने की परत चढ़ाने का काम किया गया है. समिति ने आगे बताया कि,

  • “पीतल की प्लेट्स से लेकर सोने की परत चढ़ाने तक का काम दानदाता ने खुद अपने ज्वैलर्स से कराया है. दानदाता ने खुद ही सोना खरीदा. उसी ने मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़वाई. मंदिर समिति की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं थी. दानदाता ने सोने और पीतल की खरीद की रसीदें BKTC में जमा कराई हैं. नियम के अनुसार, इन्हें हमारी स्टॉक बुक में दर्ज भी किया गया है.”
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