नई दिल्ली (संवाददाता): देशभर में बढ़ते कोरोना के मामलों के साथ ही कई राज्यों में जहां कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, वहीं झारखंड में सरकार अब स्कूल काॅलेज बंद करने के साथ ही नाइट कर्फ्यू लगाने जा रही है। बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने आपदा प्रबंधन प्राधिकार से राज्य में कड़े प्रतिबंध लागू करने की सिफारिश की है. इस दौरान आगामी 15 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लगाने के साथ-साथ स्कूल, काॅलेज समेत अन्य शिक्षण संस्थान, माॅल, रेस्टोरेंट, होटल, पार्क आदि को बंद करने का सुझाव दिया है। इस दौरान आवश्यक चीजों में पूर्व की भांति छूट देने की बात कही है. इस संबंध में हेल्थ सेक्रेटरी अरुण कुमार सिंह ने आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सचिव को सुझाव संबंधी पत्र दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के सुझाव….
- शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू फिर से लागू हो. इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छूट मिलती रहेगी
- रविवार को आवश्यक दुकानों को छोड़ सभी दुकानें बंद हो
- पांच साल से ऊपर के सभी लोगों को घर से बाहर निकलते वक्त मास्क पहनना अनिवार्य
- झारखंड समेत दूसरे राज्यों के लोगों के वैसे लोगों का मूवमेंट ही अनिवार्य हो, जो वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके हो
- आगामी 15 जनवरी, 2022 तक पार्क, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, स्वीमिंग पुल, जिम और इंडोर स्टेडियम को बंद किया जाये
- सभी धार्मिक स्थानों पर श्रद्धालुओं की एंट्री बैन हो
- हाट-बाजार में सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई से पालन हो
- शादी विवाह, दाह संस्कार और सामाजिक गतिविधियों में वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके सिर्फ 50 लोगों को शामिल होने की अनुमति मिले
- राज्य में जरूरी दुकानों को छोड़ गैर जरूरी दुकानों को एक-एक दिन छोड़ कर शाम 5 बजे तक खुले
- स्कूल, कॉलेज, कोचिंग और शिक्षण संस्थानों को बंद कर ऑनलाइन पढ़ाई होनी चाहिए
- लोगों के लिए रेस्टोरेंट बंद हो. सिर्फ होम डिलिवरी की अनुमति मिले
- ऑफिस में 50 फीसदी मैनपावर हो वहीं, आफिस में कार्य करते वक्त एसी या हीटर का उपयोग ना हो
- अगले आदेश तक बायोमैट्रिक उपस्थिति पर रोक लगे
- मॉल बंद हो, लेकिन अगर मॉल को खुला रखना हो, तो सिर्फ 25 फीसदी लोगों की ही एंट्री हो. यहां यह भी ध्यान देना होगा कि मॉल में एंट्री उन्हीं लोगों को मिले जो वैक्सीन के डबल डोज लिये हों
- दूसरे देशों से आने वाले वैसे लोगों जिनका त्ज्-च्ब्त् टेस्ट में भले ही निगेटिव आया हो, फिर भी उन्हें 72 घंटे के निगरानी में रखना आवश्यक हो