बेटियों के लिंगनुपात आंकड़े को पहाड़ से मिली चुनौती, 1000 बेटों के मुकाबले यहां जन्मीं 1214 बेटियां

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इस जिले के चार विकासखंडों में बेटों से ज्यादा पैदा हो रही बेटियां, ये आंकड़े दे रहे गवाही

पौड़ी गढ़वाल (कुलदीप बिष्ट): उत्तराखंड के पौड़ी जिले में इस साल लिंगानुपात का ग्राफ बढ गया है।  जिले के 4 विकासखण्ड तो ऐसे हैं जिनमें बेटियों के अधिक जन्म लेने से राष्ट्रीय औसत का आंकड़ा भी  फीका पड़ गया। इन 4 ब्लाको में बेटियों का लिंगानुपात अधिक आंका गया है जिसमें यमकेश्वर में ये आंकडा सबसे अधिक है। यहां 1000 बेटों के मुकाबले 1214 बेटियों ने इस बार जन्म लिया है जबकि इसी तरह से पौड़ी में 1093 बेटियों ने जबकि ऐकेश्वर में 1085 और रिखणीखाल ब्लाक में 1046 बेटियों का 1000 बेटो के मुकाबले जन्म लेने यहां 1000 बेटोें के मुकाबले 952 बेटियों का जन्म लेना इस आंकड़े को दर्शा रहा है कि जिले में बेटा और बेटी में यहां अब कोई भेदभाव नहीं रहा।

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बेटियों के लिंगनुपात आंकड़े को पहाड़ से मिली चुनौती, 1000 बेटों के मुकाबले यहां जन्मीं 1214 बेटियां

दरसअल, वर्ष 2019-20 में जिले का येे आंकड़ा 1000 बेटों के मुकाबले 950 जन्मी बेटियों का था लेकिन वर्ष 2021-22 में इस आंकड़े ने छलांग लगायी है और ये आंकड़ा जिले में 1000 के मुकाबले अब 952 जा पहुंचा है।  वहीं, जिले के 4 विकासखण्ड तो ऐसे हैं जिनमें बेटियों के अधिक जन्म लेने से राष्ट्रीय औसत का आंकड़ा भी फीका पड़ गया। इन 4 ब्लाको में बेटियों का लिंगानुपात अधिक आंका गया है जिसमें यमकेश्वर में ये आंकडा सबसे अधिक है। यहां 1000 बेटों के मुकाबले 1214 बेटियों ने इस बार जन्म लिया है जबकि इसी तरह से पौड़ी में 1093 बेटियों ने जबकि ऐकेश्वर में 1085 और रिखणीखाल ब्लाक में 1046 बेटियों का 1000 बेटो के मुकाबले जन्म लेने से जिले के इन 4 ब्लाको ने राष्ट्रीय औसत को आसानी पछाड़ डाला है। पौड़ी के जिलाधिकारी ने बताया कि स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन की टीम लगातार अल्ट्रासांउड सैंटर्स पर भी नजर बनाये हुये थी जिससे कन्या भूर्ण हत्या जैसे अपराध न घटित हो। वहीं, ग्रामीण इलाकों में जनजागरूकता भी असर रहा है। जिले में बेटियों के बढ़े हुए लिंगानुपात ने छलांग लगा डाली। जिलाधिकारी ने बताया कि अल्ट्रासांउड सेंटर में जिला प्रशासन की टीम लगातार अपनी नजरे बनाये हुए हैं जिससे कन्या भूर्ण हत्या जैसे संघीन अपराधों को रोका जा सके। इसके साथ ही जनजागरूकता के कार्यक्रम भी जिले में लगातार जारी हैं।

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