Home चमोली कोटद्वार से लेकर बद्रीनाथ हाइवे तक नदी-नाले बन रहे प्रलय का कारण…

कोटद्वार से लेकर बद्रीनाथ हाइवे तक नदी-नाले बन रहे प्रलय का कारण…

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Badrinath Kotdwar weather

Uttarakhand Devbhoomi Desk: उत्तराखंड में मौसम ऊंट की तरह बना हुआ है, कब कहाँ करवट ले पता नहीं (Badrinath Kotdwar weather) चल रहा है। कहीं मुसलाधार बारिश से नदी नाले उफान मार रहे हैं तो कहीं सूखा पड़ा है, तो कहीं हल्की बूँदाबाँदी से मौसम नम है। मौसम विभाग कुछ जिलों के लिए चेतावनी दे रहा है तो कुछ जिलों में अनुमान लगाना भी मुस्किल है की कल क्या होगा।

Badrinath Kotdwar weather कोटद्वार में उफान

कल 28 जुलाई शुक्रवार देर रात देहरादून में झमाझम बारिश हुई। तो वहीं कोटद्वार (Badrinath Kotdwar weather) के आसपास के क्षेत्रों में बीती रात हुई भारी वर्षा से आमजन जंग दहशत में आ गया। भारी वर्षा के कारण क्षेत्र की मालन, सुखरो व खो नदियों के साथ ही बरसाती गदेरे भी उफान पर आ गए। पटियाली गदेरे के उफान पर आने से आमपड़ाव व कौड़िया में कई स्थानों पर लोगों के घरों में मलबा घुस गया।Badrinath Kotdwar weather

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कोटद्वार के कौड़िया वार्ड में पनियाली गदेरे ने तबाही मचा दी है। देर रात कई घरों में पानी भर गया। लोग समान छोड़ कर जान बचाने के लिए भागे। मलबे से घरों के अंदर रखा समान खराब हो गया है। आर्मी कैंप को जाने वाली पुलिया भी बह गई।

मौसम विभाग ने 29 जुलाई से एक अगस्त तक उत्तराखंड (Badrinath Kotdwar weather) में तेज बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। खासकर चमोली, बागेश्वर और उत्तरकाशी के अधिकतर इलाकों में भारी बारिश होने के आसार हैं। अगस्त की शुरुआत भी भारी बारिश के साथ हो सकती है जो लगभग 8 से 10 दिन रहेगी।

Badrinath Kotdwar weather बद्रीनाथ हाइवे पर ज्यादा भूस्खलन

बद्रीनाथ हाइवे में कमेड़ा, पर्थाडीप, चाड़ा, छिनका, पीपलकोटी, पागलनाला, लामबगड़, कंचनगंगा, सिरोबगड़, समेत कई जगह मालवा और बॉलड़र आने से रास्ता बंद हो गया है। पिछले साल वर्षों से सक्रिय लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र को ठीक करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है और पागलनाला, कंचनगंगा में पुल बानने है।

इस राजमार्ग का करीब 25 किमी हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले में भी पड़ता है। यहां सिरोबगड़ (Badrinath Kotdwar weather) में बारिश नहीं होने पर भी पहाड़ी से पत्थर गिरते रहते हैं। इस काम के लिए 300 करोड़ रुपये से बाईपास बन रहा है, जिसका 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

ये हाइवै 21 जुलाई की रात से बार बार बंद हो रहा है। वैकल्पिक मार्ग के निर्माण में ढाई करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं, मगर अब तक वह पूरा नहीं हो पाया। रुद्रप्रयाग में 76 किमी लंबे गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर तरसाली भूस्खलन क्षेत्र पिछले 20 सालों से परेशानी बना हुआ है।

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