Action में धामी, अफसरों को दो टूक “न सोउंगा न सोने दूंगा”

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devbhoomi

देर से आना जल्दी जाना ऐ साहब ये ठीक नहीं. ये गाना तो आप सभी ने ज़रूर ही सुना होगा. यह गाना है 1993 में रिलीज हुई फिल्म खलनायक का , उत्तराखंड में अब यह गाना आजकल सब के मुह पर चढ़ने लगा है. इसकी वजह एक ही है. यहां के साहब कमोबेश अँग्रेज़ों के ज़माने के साहब की याद दिला देते हैं. साहब के – मै चाहे ये करूँ, मै चाहे वो करूँ, मेरी मर्ज़ी के राग ने संतरी से लेकर मंत्री तक की नाक मे दम दे दिया है उत्तराखंड मे. अब बात नायक तक पहुच ही गयी. नायक हमारा मतलब है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समय पर ऑफिस न आने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को साफ कह दिया है कि देर से आना और जल्दी जाना ऐ साहब अब ये ठीक नहीं. देखा जाये तो मुख्यमंत्री को यह संदेश देना बहुत जरूरी भी हो गया था.

 

यहां पहाड़ो से लेकर शहरों में, अब चाहे वह राजधानी देहरादून ही क्यों न हो. सरकारी कार्यालयों में वर्क कल्चर ही बदल गया है. इसलिए सीएम धामी ने निर्देश दे दिये हैं कि जो भी अधिकारी और कर्मचारी समय पर आफिस नहीं पहुंचे रहे और समय से पहले ऑफिस से जा रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाये. उत्तराखंड में एक बात यह उठती आ रही है कि यहां अफसरशाही और नौकरशाही हावी होते जा रहे हैं. यहां के जन प्रतिनिधियों को भी अकसर कहते हुए देखा गया है कि अधिकारी उनकी बात ही नहीं सुनते. लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस परिपाटी को बदलना चाहते हैं. यही नहीं मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को एक और निर्देश दिया की जनता और जन प्रतिनिधियों का कॉल जरूर रिसीव करें, किसी वजह से अगर कॉल रिसीव नहीं कर पाये तो कॉल बैक जरूर करें. देखा जाये तो मुख्यमंत्री ठीक उसी कार्यशैली से कार्य करना चाहते हैं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार २०१४ मे प्रधानमंत्री बनने पर इंप्लिमेंट की थी. ये इसलिए कहा जा रहा है कि उन्होंने अधिकारियों अपनी भाषा में बता दिया है कि विकास और जनहित के लिए न तो चैन से सोऊंगा और ना ही अधिकारियों को चैन से सोने दूंगा. ऐसे ही प्रधानमंत्री मोदी भी कहते हैं न खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा. पीएम मोदी की तरह सीएम धामी भी हर विभाग की मॉनेटरिंग खुद करना चाहते है. उन्होंने विभागों की समीक्षा बैठक शुरू करते हुए अधिकारियों को कहा कि 15 दिन में कार्यों की प्रगति रिपोर्ट मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को सौंपे. हाल ही में हमने भी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि चेतक पर सवारी करने के लिए महाराणा प्रताप बनना ही होगा. अब मुख्यमंत्री धामी ने लगाम तो धाम ली है, देखना यह होगा की किस गती वे चेतक को दौड़ाते हैं.

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