/ Dec 16, 2025
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DEHRADUN DOG LICENSE: देहरादून में रॉटविलर और पिटबुल जैसे खतरनाक कुत्तों के लगातार हमलों के बाद नगर निगम ने कड़े कदम उठाए हैं। नगर निगम ने कुत्तों को पालने से संबंधित नई नियमावली ‘श्वान लाइसेंस उपविधि 2025’ तैयार कर ली है। इस नई व्यवस्था के तहत यदि पालतू कुत्ते ने किसी व्यक्ति को काटा, तो कुत्ते के मालिक के खिलाफ नगर निगम पुलिस में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएगा। इतना ही नहीं, ऐसी स्थिति में कुत्ते को जब्त भी किया जा सकता है। सोमवार को इसका अनंतिम प्रकाशन कर दिया गया है और अब एक महीने तक जनता से दावे और आपत्तियां मांगी गई हैं, जिसके बाद इसे पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

नगर निगम ने पिटबुल, रॉटविलर, डोगो अर्जेंटीनो और अमेरिकन बुलडॉग जैसी खूंखार नस्लों के पंजीकरण के लिए मालिकों को दो हजार रुपये शुल्क देना होगा, जबकि सामान्य कुत्तों के लिए यह शुल्क 500 रुपये प्रति कुत्ता रखा गया है। आक्रामक कुत्तों के पंजीकरण से पहले उनका टीकाकरण और बधियाकरण (नसबंदी) अनिवार्य होगा। इन कुत्तों की एक साल की उम्र पूरी होने के बाद एबीसी सर्जरी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना जरूरी होगा। इसके अलावा विदेशी नस्ल के आक्रामक कुत्तों की ब्रीडिंग (प्रजनन) पर शहर में पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। जो लोग पहले से ऐसे कुत्ते पाल रहे हैं, उन्हें तीन महीने के भीतर नसबंदी का प्रमाण पत्र निगम में जमा करना होगा।

नगर निगम ने कुत्ते पालने के लिए घर के क्षेत्रफल को लेकर भी मानक तय किए हैं। नियमों के अनुसार, एक आक्रामक कुत्ता पालने के लिए कम से कम 300 वर्ग गज का क्षेत्रफल होना अनिवार्य है। यदि कोई दो सामान्य कुत्ते पालना चाहता है तो उसके पास 200 वर्ग गज जगह होनी चाहिए, जबकि चार कुत्तों के लिए 300 वर्ग गज की जगह जरूरी है। पांच या उससे अधिक कुत्ते पालने वालों को ‘प्राइवेट श्वान पशु शेल्टर’ की श्रेणी में माना जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी, 1000 रुपये वार्षिक लाइसेंस शुल्क देना होगा और पड़ोसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी लेना अनिवार्य होगा।

नई नियमावली में पड़ोसियों की शांति और स्वच्छता का भी ध्यान रखा गया है। अगर किसी का पालतू कुत्ता रात में बार-बार भौंकता है और मालिक उसे रोकने का प्रयास नहीं करता, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। पहली शिकायत पर नोटिस दिया जाएगा और दूसरी बार शिकायत आने पर चालान काटा जाएगा। इसके लिए मालिक को कुत्ते के मुंह पर मजल (एक प्रकार का मास्क) पहनाना होगा। इसके अलावा, पालतू कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर बिना पट्टे, बिना मजल और बिना निगरानी के ले जाना प्रतिबंधित है। खुले में शौच कराने पर भी चालान काटा जाएगा।

इन सख्त नियमों को लागू करने के पीछे मुख्य वजह कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाएं हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2009 से अब तक 5.4 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा है। केवल इसी साल सितंबर तक 24,605 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा मामले हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जिलों से आए हैं। आंकड़ों के अनुसार 2009 से अब तक हरिद्वार में 1.4 लाख और देहरादून में 1.3 लाख लोग डॉग बाइट का शिकार हुए हैं। अमर उजाला की पहल के बाद पार्षदों ने इस मुद्दे को बोर्ड बैठक में उठाया था, जिसके बाद नगर आयुक्त नमामी बंसल ने विस्तृत उपविधि बनाने के निर्देश दिए थे।

नगर निगम ने लावारिस कुत्तों को गोद लेने को बढ़ावा देने के लिए उनका पंजीकरण शुल्क माफ कर दिया है। आवारा कुत्तों के खाने के लिए कॉलोनियों और रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी में फीडिंग प्वाइंट निर्धारित किए जाएंगे। स्कूलों, धर्मस्थलों, भीड़भाड़ वाले स्थानों और कॉलोनियों के प्रवेश-निकास बिंदुओं पर कुत्तों को खाना खिलाने पर कार्रवाई होगी और 2 हजार रुपये का सेस शुल्क वसूला जाएगा। इन नियमों का उद्देश्य जनसुरक्षा सुनिश्चित करना और कुत्तों के प्रति जिम्मेदाराना व्यवहार को बढ़ावा देना है।

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