/ Dec 07, 2025
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ARMED FORCES FLAG DAY: भारत में हर साल 7 दिसंबर का दिन एक विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ (Armed Forces Flag Day) कहा जाता है। यह दिन देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले जांबाज सैनिकों, जल, थल और वायु सेना के वीरों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर होता है। वर्ष 1949 से लगातार यह परंपरा चली आ रही है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा में शहीद हुए जवानों, दिव्यांग हुए सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए धन संग्रह करना है। यह दिन केवल एक रस्म नहीं, बल्कि देश के नागरिकों द्वारा अपनी सेना के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का माध्यम है।

देश की रक्षा करने वाले सैनिकों और उनके परिजनों की देखभाल के लिए के उद्देश्य से 28 अगस्त 1949 को तत्कालीन रक्षा मंत्री के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने निर्णय लिया कि हर साल 7 दिसंबर को झंडा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन लोगों को छोटे झंडे बांटकर उनसे चंदा इकट्ठा करने की योजना बनाई गई। पहली बार 7 दिसंबर 1949 को यह दिवस मनाया गया और तब से लेकर आज तक सिलसिला जारी है। शुरुआत में इसे सिर्फ ‘झंडा दिवस’ कहा जाता था, लेकिन 1993 में इसका नाम बदलकर ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ कर दिया गया।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर जो छोटा झंडा या स्टिकर लोगों को दिया जाता है, उसका विशेष महत्व है। यह झंडा तीन रंगों का होता है और हर रंग भारतीय सशस्त्र बलों की एक शाखा का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें गहरा लाल रंग भारतीय थल सेना (Indian Army) को दर्शाता है। गहरा नीला रंग भारतीय नौसेना (Indian Navy) का प्रतीक है और हल्का नीला रंग भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) का प्रतिनिधित्व करता है। यह तीनों रंग मिलकर देश की तीनों सेनाओं की एकता और अखंडता को प्रदर्शित करते हैं।

इस दिन जमा की गई धनराशि को ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष’ (Armed Forces Flag Day Fund) में जमा किया जाता है। इस फंड का प्रबंधन केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा किया जाता है। आम जनता द्वारा दिए गए इस दान का उपयोग मुख्य रूप से तीन बड़े कार्यों के लिए होता है। सबसे पहले युद्ध के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के पुनर्वास के लिए। दूसरा, सेवारत सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए और तीसरा, सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों और युद्ध विधवाओं के कल्याण व पुनर्वास के लिए। यह फंड उन वीर नारियों और बच्चों की मदद करता है जिन्होंने देश के लिए अपने घर का चिराग खो दिया है।

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