सर्वदलीय संघर्ष समिति ने प्राधिकरण के विरोध में दिया धरना

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अल्मोड़ा: अल्मोड़ा-सर्वदलीय संघर्ष समिति ने आज जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर स्थानीय गांधी पार्क चौघानबाटा में धरना दिया तथा प्रदेश की भाजपा सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर धरने को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि नवम्बर 2017 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने तुगलकी फरमान से पूरे पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लागू कर दिया था। जिसका स्थानीय जनता एवं समिति लगातार विरोध कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि इतने विरोध के बाद भी प्रदेश सरकार ने केवल प्राधिकरण को स्थगित किया है जो जनता के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बनने से पर्वतीय जनपदों में सरकार के खिलाफ तीव्र आक्रोश रहा है तथा इसके कारण होने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर आदि स्थानों में आंदोलन होता रहा है। साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों की जनता में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के प्रति दिन प्रतिदिन आक्रोश बढ़ता ही चला जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि भाजपा द्वारा जिला विकास प्राधिकरण को स्थगित करना इस सरकार की षडयंत्रकारी नीति है। जहां एक ओर प्राधिकरण स्थगित किया गया है वहीं दूसरी ओर मानचित्र स्वीकृत करने के लिए कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया है। जिसके फलस्वरूप भवन निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए शपथ पत्र देकर मानचित्र की स्वीकृति प्राधिकरण के तहत लेनी पढ़ रही है। जो कि औचित्यहीन है। वक्ताओं ने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के विरोध में सभी दलों के विधायकों ने विधानसभा के पटल पर भी बार-बार इसे समाप्त करने का मुद्दा उठाया था। काफी समय बाद प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों ने जनता की मांग को देखते हुए तथा जनाक्रोश को समझते हुए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को स्थगित कर दिया था। वक्ताओं ने कहा कि अल्मोड़ा के संदर्भ में नगरपालिका अधिनियम 1916 में विभिन्न प्रावधानों के अनुसार नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा को अपने नगर की सीमा के अंतर्गत भवन मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार था। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण गठित होने के बाद से नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा की आय पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा नगर कुमाऊं का सबसे प्राचीनतम नगर है जो लगभग 5 सौ साल पुराना बसा हुआ है। प्राधिकरण के नियम हर स्थान की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु के अनुसार लागू होते हैं। परंतु यहां की भौगोलिक एवं धरातलीय स्थिति मैदानी क्षेत्रों से एकदम भिन्न है। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जबरदस्ती थोपा जाना पहाड़ के लोगों के साथ धोखा एवं विश्वासघात है। वक्ताओं ने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को पहाड़ से तत्काल समाप्त किए जाने का शासनादेश निर्गत किया जाए तथा नगरी क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार नगर निकायों को ही दिया जाए ताकि यह सरकार द्वारा निर्दिष्ट स्टेट बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार भवन मानचित्र स्वीकृत कर सकें। जहां इससे पालिकाओं की आय भी बढ़ेगी साथ ही सरकार पर भी आर्थिक बोझ कम होगा। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में समिति के प्रवक्ता राजीव कर्नाटक, दीपांशु पाण्डेय, सभाषद हेम तिवारी, महेश चन्द्र आर्या, नारायण दत्त पाण्डेय, आनन्दी वर्मा, मदन सिंह बिरौड़िया, ललित मोहन पन्त, आनन्द बगडवाल, एम०सी०कान्डपाल, चन्द्रमणि भट्ट, शहाबुद्दीन, भारतरत्न पान्डेय, हर्ष कनवाल, घनश्याम गुरुरानी सहित दर्जनों समिति के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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