आज शुरू हुई इस यात्रा में चंद पग चलने पर मिलता है अश्वमेघ यज्ञ जितना पुण्य!

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घने जंगलों के बीच मानागढ़ी देवी के पहाड़ों से गुजरे श्रद्धालु, मंदिर प्रांगण में खुशी का माहौल,
जयकारों के साथ उत्तरकाशी में शुरू हुई पंचकोशी वारूणी यात्रा

उत्तरकाशी (विनीत कंसवाल): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बुधवार से पंचकोसी वारूणी यात्रा में सुबह से श्रद्वालुओं की भारी भीड उमड़ी हुई है। पंचकोसी वारूणी यात्रा उतरकाशी की एक ऐसी यात्रा है जिसमें पग-पग चलने पर श्रद्वालुओं को अश्वमेध यज्ञ का पुण्य लाभ मिलता है। वारुणी यात्रा के शुरू होने के बाद गंगोत्री-यमनोत्री के शुभ मुहूर्त के साथ कपाट खोलने की तैयारी भी शुरू हो जाती है।

बता दें कि उत्तरकाशी पंचकोसी वारूणी यात्रा एक ऐसी यात्रा जिसमें पग पग पर चलने पर अश्वमेध यज्ञ का पुण्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि 15 कि.मी पैदल दूरी वाली यह यात्रा मार्ग पर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। गुरुवार को वारुणी यात्रा के शुभ मुहूर्त पर हजारों की संख्या में श्रद्वालु इस यात्रा के लिए जिले सहित अन्य जिलों से लोग यहां पहुंच रहें हैं।

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इस यात्रा में श्रद्वालु वरूणवत पर्वत की परिक्रमा करते है, जिसकी शुरूआत बड़ेथी वरनेश्वर महादेव मन्दिर से शुरू होती है जो 15 किलोमीटर के यात्रा 20 गांव कई मन्दिर होते हुए जाती है और अस्सी गंगा और भागीरथी नदी के संगम पर खत्म होती है। इस यात्रा का वर्णन स्कंदपुराण के केदारखंड में भी है, जिसमें बताया गया है पहले यह यात्रा साधु संत करते थे। इसके पश्चात धीरे-धीरे पुराणों के अध्ययन से आम लोग भी इस यात्रा मे जाने लगे है। यह यात्रा का शुभ फल 5 बार इस यात्रा को करने से मिलता है। इस यात्रा के बाद गंगोत्री-यमनोत्री धाम के कपाट खोलने की तैयारी भी शुरू हो जाती है।

बता दें कि इस यात्रा में पड़ने वाले गांव के लोग श्रद्धालुओं के लिए जलपान और फलहार की व्यवस्था जगह-जगह पर करते है। जहां इस यात्रा में स्थानीय लोग बढ़-चढ़ कर पहुंच रहें हैं, वहीं अन्य जिले से भी लोग इस यात्रा को करने को पहुंच रहे है। पैदल यात्रा सुखद एहसास करवाती है। तू वही उत्तरकाशी के नागड़ी पर्वत पर विराजमान मां भगवती का भी यहां पर यात्रा का शुभारंभ किया जाता है तो वहीं कई जगहों पर जंगलों घने जंगलों के बीच श्रद्धालु मां के जयकारों के साथ पहुंचते हैं।