/ Apr 18, 2025
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UTTARAKHAND DENGUE ALERT: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अप्रैल के महीने में ही डेंगू ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। अब तक 15 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। ये सभी मरीज देहरादून के दो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं और फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है और बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है।
गर्मी और बरसात के मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छर से फैलने वाली बीमारियों की आशंका को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने एक समेकित कार्ययोजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत अंतरविभागीय समन्वय, जनजागरूकता, निगरानी और फील्ड एक्शन के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि डेंगू की रोकथाम का सबसे जरूरी कदम सफाई और मच्छर के पैदा होने वाले स्रोतों को खत्म करना है। नगर निगमों को नालों की सफाई, जलभराव हटाने और कचरे के सही निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को डेंगू से बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देंगी। लोगों को जागरूक करने के लिए फॉगिंग, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक और गोष्ठियों के ज़रिए अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य और निजी अस्पतालों को भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इलाज की व्यवस्था पक्की करने के निर्देश दिए हैं। हर जिले में मच्छरदानी युक्त डेंगू आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे जहां प्रशिक्षित स्टाफ और जरूरी चिकित्सा उपकरण मौजूद रहेंगे। गंभीर मरीजों के लिए प्लेटलेट्स, ELISA टेस्ट किट्स और ज़रूरी दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था भी की गई है।
संक्रमण पर काबू पाने के लिए फीवर सर्वे करवाया जाएगा, जिसमें बुखार से पीड़ित लोगों की पहचान की जाएगी। डेंगू के किसी भी मरीज की पुष्टि होने पर उसके घर से 50 मीटर की दूरी तक फोकल स्प्रे कराया जाएगा ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। जिलों को माइक्रो प्लान बनाकर राज्य की एनवीबीडीसीपी यूनिट को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि डेंगू से निपटना केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज की भी साझा जिम्मेदारी है। इसलिए सभी जिलों में IMA, निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी लैब्स के साथ मिलकर काम किया जाएगा। हेल्पलाइन नंबर 104 को पूरी तरह सक्रिय रखा गया है ताकि लोग किसी भी जानकारी के लिए तुरंत संपर्क कर सकें। हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया जाएगा और सभी से यह अपेक्षा की गई है कि वे हर दिन शाम चार बजे तक अपनी रिपोर्ट विभाग को भेजें।
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