Home रुद्रप्रयाग तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर की तंद्रा भंग कर, जूते पहनकर घूम...

तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर की तंद्रा भंग कर, जूते पहनकर घूम रहे पर्यटक

0
devbhoomi

रुद्रप्रयाग (नरेश भट्ट): तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने से पहले ही यहां सैलानियों की भारी संख्या में आवाजाही होने लगी है। अभी तक धाम के कपाट खोलने को लेकर तिथि भी तय नहीं हुई है और धाम में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, जिस कारण भगवान शंकर की

YOU MAY ALSO LIKE

तंद्रा भंग होने के साथ ही अजैविक कूड़ा फैंकने के कारण पवित्र वातावरण दूषित हो रहा है। ऐसे में तुंगनाथ घाटी के लोग, सैलानियों की समय से पूर्व इस चहलकदमी को अनिष्टकारी मान रहे हैं।

बता दें कि तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है। यह केदारनाथ और बद्रीनाथ के करीब-करीब बीच में है। इस जगह की खासियत यह है कि यहां आकर हर एक इंसान तनाव को भूल, यहां कि शांति को महसूस करने लगता है। यहां के शांत माहौल का लोगों पर इतना प्रभाव पड़ता है कि जीवन के प्रति उनका नजरिया ही बदल जाता है। समुद्रतल से इस मंदिर की ऊंचाई 12 हजार फुट से ज्यादा है। पंचकेदारों में शुमार बाबा तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि वैशाखी के पवित्र पर्व पर मक्कूमठ मंदिर में तय की जाती है, लेकिन इस क्षेत्र में लगातार पड़ रही बर्फवारी के चलते सैलानी तथा क्षेत्रीय पर्यटक चोपता के साथ ही भगवान तुंगनाथ के मंदिर के दर्शनार्थ मखमली बुग्यालों का सीना चीरते हुए तुंगनाथ धाम पहुंच रहे हैं। कई पर्यटक तो जूते समेत ही मंदिर के प्रागंण तथा इर्द-गिर्द पहुंच रहे हैं, जिस कारण हिन्दुओं की आस्था पर कुठाराघात हो रहा है। इसके साथ ही कई अराजक पर्यटक अपने साथ लाये गये जंक फूड के रैपर तथा पानी की खाली बोतलों को वहीं छोड़ रहे हैं, जिस कारण यहां पर प्रदूषण फैलने की संभावना भी बनी है।

वहीं इस पर स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटकों की तुंगनाथ मंदिर के इर्द गिर्द चहलकदमी बर्दाश्त नहीं की जायेगी। चोपता, दुगलबिट्टा आदि पर्यटक स्थलों में पर्यटक पहुंच रहे हैं, जिस कारण स्थानीय व्यवसायियों के भी चेहरे खिले हैं। मगर भारी तादात में सैलानी तुंगनाथ मंदिर भी पहुंच रहे हैं, जो आस्था के साथ खिलवाड़ है। शीतकाल में तुंगनाथ के भोग मूर्तियों की पूजा मक्कू स्थित मक्कूमठ मंदिर में होती है और ऐसा माना जाता है कि तुंगनाथ मंदिर में स्थापित लिंग की पूजा वैदिक मंत्रों से स्वयं भगवान शंकर करते हैं। कपाट खुलने से पूर्व इस तरह सैलानियों का मंदिर तक पहुंचना अनिष्टकारी है। भगवान शंकर की तपस्या में खलल नहीं पड़ना चाहिये। आठ वर्ष पूर्व ऐसे ही घूमने गये सैलानियों ने मंदिर के कलश को चुराया था। सैलानियों की तुंगनाथ मंदिर मार्ग पर आवाजाही से खतरे की भी संभावना रहती है। 5 से 6 फीट तक जमी बर्फ में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। ऐसे में प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है। वहीं पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने कहा कि चोपता-तुंगनाथ राजस्व क्षेत्र में आता है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर क्षेत्र में पुलिस के जवानों को भेजा जाता है।

Follow us on our Facebook Page Here and Don’t forget to subscribe to our Youtube channel Here

Exit mobile version