बेटी से मिलने आई एक बूढ़ी मां क्यों हुई “तुमड़ी” के अंदर कैद

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गांव की एक बुढ़िया जिसे अपनी बेटी की इतनी खुद लगी कि उसने घने जंगल को पार करने का मन बना लिया। जंगली जानवरों को इस बुढ़िया ने ऐसा बेवकूफ बनाया कि सभी जानवर भी दंग रह गए। रंग देवभूमि के कार्यक्रम में हम देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और परिवेश से जुड़ी कई रोचक जानकारियां रोज़ आपके लिए लेकर आते रहेंगे।

एक गांव में एक बुढ़िया और उसकी बेटी रहती थी। बुढ़िया कि बेटी की शादी बहुत ही दूर एक गांव में हुई थी और काफी समय से वो अपनी बेटी से मिली भी नहीं थी,अब उसे अपनी बेटी की याद सताने लगी और उसने मन बना लिया कि अब वो उससे मिलने उसके ससुराल जाएगी। वो अपने गांव में खुशी खुशी सबको बताने लगी कि कल मैं अपनी बेटी से मिलने उसके ससुराल जाउंगी। इस पर गांव वाले कहते हैं कि इतने घनघोर जंगल को पार करके अकेली कैसे जाउगी। जिसके जवाब में बुढ़िया कहती है कि मुझे जानवरों से बात करनी आती है तो मैं उन्हें बहला फुसला कर अपनी बेटी से मिलने चली जाउंगी।

अब बुढ़िया रात में अपनी बेटी और नातिनों के लिए स्वाल पकौड़े बनाती है और एक पोटले में बांध कर सुबह होते ही अपनी बेटी के ससुराल के लिए निकल जाती है। बुढ़िया को चलते चलते शाम हो जाती है और अब पूरे जंगल में कई खतरनाक जानवरों की अवाजे आने लगती है। बुढ़िया धीरे धीरे डरते हुए अपने रस्ते में आगे बढ़ रही होती है कि तभी उसके आगे भालू आ जाता है मगर हिम्मत करते हुए बुढ़िया भालू से कहती है “भालू दादा चेली यख जौंलू, दूध मलई खौंलू, मोटी बनू औंलू, तब तू मिते खैलु तो ज्यादा स्वाद पेलू”। इसका मतलब है बेटी के घर जाउंगी, दूध मलाई खाउंगी, मोटी बनकर आउंगी, फिर तुम मुझे खाओगे तो ज्यादा स्वाद पाओगे।

अब इस पर भालू सोचता है कि बुढ़िया ठीक बोल रही है। अभी तो ये बुढ़िया बिलकुल सूखी डंडी दिखाई दे रही है एक महीने बाद खूब खा पीकर मोटी बनकर आएगी तो तभी खाउंगा। इसके बाद ऐसे ही बुढ़िया को आगे शेर, लोमड़ी, सिआर जैसे कई खूंखार जंगली जानवर मिलते हैं। जिनसे बुढ़िया वही बात कहती है और सभी जानवर उसको जाने देते हैं। ऐसा करते हुए बुढ़िया अपनी बेटी के घर पहुंच जाती है और दोनों प्यार से एक दूसरे के गले मिलते है। अब बेटी अपनी मां की खूब खातिरदारी करती है और एक महीना कब बीत जाता है दोनों को पता ही नहीं चलता। बुढ़िया के चहरे पर अब एक अलग ही चमक आ जाती है। मगर कहीं न कहीं बुढ़िया परेशान भी थी। अब मां को परेशान देख बेटी ने अपनी मां से उसकी परेशानी का कारण पूछा तो मां ने उसे जंगली जानवरों और अपने बीच हुई पूरी दास्तान बताई। बेटी की सास को तंत्र मंत्र की काफी जानकारी थी। उसने अपने तंत्र मंत्र से बुढ़िया का कद छोटा कर दिया और तुमड़ी यानी की सूखी लौकी में मंत्र फूंक कर बुढ़िया को उस तुमड़ी में छिपा दिया और अब तुमड़ी निकल पड़ी अपने रस्ते। जैसे ही तुमड़ी जंगल में पहुंची तो सबसे पहले उसे बाघ मिला। उसने तुमड़ी से पूछा कि ऐ तुमड़ी तूने उस बुढिय़ा को देखा जो अपनी बेटी के यहां मोटी होने के लिए गई थी। तभी तुमड़ी के अंदर से आवाज आयी। मी क्या जाणू बुढ़री क बात चल तुमड़ी बाटू बाट, इसका मतलब है मुझे क्या मालूम बुढ़िया के बारे में, चल तुमड़ी अपने रस्ते।

ये बोलकर तुमड़ी फिर आगे को चलने लगी। इसके बाद आगे चलकर उसे भालू, सियार के साथ सभी जानवर मिलने लगे। उन्होंने भी तुमड़ी से बुढिय़ा के बारे में पूछा लेकिन तुमड़ी ने उन्हें भी यही जवाब दिया। तुमड़ी की बातें सुनकर सभी जानवरों को गुस्सा आ गया। और सभी तुमड़ी पर झपट पड़े जिसके बाद तुमड़ी टूट गई और बुढ़िया फिरसे बड़ी हो गई। सभी जानवरों के बीच बुढ़िया को खाने के पीछे लड़ाई होने लगी जिसका फायदा बुढ़िया ने बखूबी उठाया। बुढ़िया फटाफट पेड़ पर चढ़ गई और ऊपर चढ़कर उसने सभी जानवरों से कहा कि मैं ऊपर से नीचे कूदूंगी, जो मुझे सबसे पहले पकडेगा, वही मुझे खायेगा। बुढ़िया की बात पर सभी जानवर राजी हो गए और सभी एक टक लगाकर बुढ़िया को देखने लगे। इतने में बुढिय़ा ने अपनी पोटली खोली और उसमें से मिर्च निकालकर ऊपर से जानवरों की आंखों में फेंक दिया। जिसके बाद सभी जानवर मिर्च लगने के कारण इधर-उधर दौडऩे लगे। अब बुढिय़ा मौका देखते ही वहां से भाग गई और सही सलाहमत अपने घर पहुंच गई। इससे पता चलता है कि अगर समझदारी से काम लिया जाए तो किसी भी परेशानी से बाहर निकला जा सकता है।

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