तेलंगाना, लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में बादल फटने के पीछे चीन का हाथ! CM के बयान से छिड़ी नई बहस

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तेलंगाना, लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में बादल फटने के पीछे चीन का हाथ! CM के बयान से छिड़ी नई बहस

नई दिल्ली, ब्यूरो। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने एक हैरान करने वाला बयान दिया। उनका कहना है कि भारत के तेलंगाना, लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में बादल फटने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है। उन्होंने इसके लिए चीन की तरफ इशारा किया है। सीएम चंद्रशेखर का यह बयान काफी चर्चाओं में है। उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है। कोई इसकी मजाक उड़ा रहा है तो कोई इसे गंभीरता से भी ले रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि दुनिया के 60 देश इस तरह की तकनीक विकसित कर चुके हैं जो कृत्रिम बारिश करवाने में पूरी तरह सक्षम हैं। चीन, अमेरिका समेत कई देश ऐसा पहले कर चुके हैं।

बता दें कि अमेरिका ने कृत्रिम बारिश यानी क्लाउड सीडिंग का पहला सफल प्रयोग 1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक विंसेंट जे शेफर ने किया था। इसके बाद विमान, रॉकेट, तोपों और ग्राउंड जनरेटर से क्लाउड सीडिंग की जाती रही है। बहुत तेज बारिश होने और बादल फटने में कोई खास अंतर नहीं होता है। जब एक निश्चित जगह पर एक निश्चित समय में बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है, तो उसे बादल फटना कहते हैं। बादल फटना बादलों पर डिपेंड करता है। अगर ऐसे में बहुत ज्यादा भाप से भरे बादलों की पहचान करके उसमें क्लाउड सीडिंग करा दें, तो बादल फट सकते हैं।

दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) 17 जुलाई को बाढ़ प्रभावित भद्राचलम के दौरे पर थे। यहां उन्होंने गोदावरी इलाके में भारी बारिश और बाढ़ की वजह बादल फटने को बताते हुए कहा कि इसके पीछे विदेशी साजिश हो सकती है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा कि भारत में बादल फटने की घटनाओं के पीछे विदेशी ताकतों की साजिश है। पहले भी उन्होंने लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में यही किया था।

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मुख्यमंत्री केसीआर के बयान कहीं न कहीं मौसम वैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है। हालांकि इसकी अभी तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है कि भारत में बादल फटने के पीछे चीन या फिर किसी और विदेशी ताकत का हाथ है। कुछ मौसम विज्ञानी इसे मात्र कयासबाजी कह रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह एक अनोखे हथियार के तौर पर किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। चीन पर पहले से ही कोविड-19 को दुनिया में फैलाने के आरोप भी लगे हैं। अब क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश करवाने में भी चीन महारथ हासिल कर चुका है। ऐसा नहीं है कि चीन ने इसका इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन दूसरे देश में हमले के तौर इस तरह के इस्तेमाल की अभी तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।