टिहरी…धन सिंह-किशोर के ‘शोर’ में सीट न ले जाए कोई ‘और’

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टिहरी की ‘टेंशन’ ले रही टाइम, प्रत्याशी घोषित करने में छूट रहे पसीने
पूर्व मंत्री और विधायक दिनेश धनै लगे हैं चुपचाप चुनाव की तैयारियों में

देहरादून, ब्यूरो। तू डाल-डाल मैं पात-पात…। कुछ ऐसा ही मंजर है उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से दल-बदलू नेताओं का। ऐसे में कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं कि राष्ट्रीय पार्टीयों में इधर से उधर छलांग लगाकर जा रहे नेताओं की बजाय तीसरा निर्दलीय हाथ मारकर ले जाए तो कहना अतिश्योक्ति न होगी। हम फिलहाल बात कर रहे हैं टिहरी विधानसभा क्षेत्र की। हालांकि वर्तमान में टिहरी विधानसभा क्षेत्र से सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी हैं और कांग्रेस के पुराने चावल किशोर उपाध्याय के भाजपा में छलांग लगाकर कांग्रेस में आ गए हैं। ऐसे में चुनावी समीकरण काफी दिलचस्प हो गए है। इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के दल बदल का फायदा निर्दलीय विधायक और पूर्व पर्यटन मंत्री रह चुके दिनेश धनै उठा सकते हैं। कुछ भी कहो टिहरी और टिहरी झील के विकास में पर्यटन मंत्री रहते हुए उनका विशेष योगदान रहा है और वह सरल स्वभाव के व्यक्ति भी हैं। अब देखना होगा कि वैलेंटाइन डे के दिन वोटिंग का रूझान कौन अपनी ओर ज्यादा मोड़ सकता है। इस बार कोरोना गाइडलाइन के कारण नेताओं को अपनी पैसे के बल इकट्ठी की गई भीड़ को दिखाने का भी मौका नहीं मिल पा रहा है। चुनावी चकल्लस में अब कांग्रेस के हाल ही में पटका पहले धन सिंह नेगी बाजी मारते हैं या फिर कई दशकों से टिहरी से दूर रहे कांग्रेस के पुराने चावल और अब भाजपा में शामिल हो चुके किशोर उपाध्याय या फिर निर्दलीय विधायक और मंत्री रह चुके दिनेश धनै।

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आपको बता दें कि टिहरी विधानसभा क्षेत्र को लेकर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने उम्मीदवार घोषित करने में काफी मंथन के साथ ही देर भी लगाई। कल देर रात आई सूची में भी इस विधानसभा सीट से प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं हुआ और बड़े नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में छलांग लगाना यह दर्शाता है कि कुछ तो खास रणनीति चल रही है इस विधानसभा को लेकर। हो सकता है आज देर रात तक इस सीट पर भी प्रत्याशी घोषित कर दिया जाए। हालांकि साफ है कि कांग्रेस धन सिंह नेगी और भाजपा किशोर पर दांव खेलेगी। लेकिन, अभी तक दोनों पार्टियों की आधिकारिक सूची सामने नहीं आई है।

कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों ने विकास जितना भी किया हो पहाड़ी प्रदेश का लेकिन अपना विकास इन्होंने सबसे ज्यादा किया है। चुनाव से पहले लोगों को इनसे सवाल पूछने के साथ ही अपना मत नामतौल कर देने का भी पूरा अधिकार है। किसी के भी प्रलोभन में आने की वजाय अपनी सोच और समझ से मत का प्रयोग करें।

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