कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर…सत्र से चंद घंटे पहले भी नेता प्रतिपक्ष तय नहीं

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देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के पहले सत्र से चंद घंटे पहले भी कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाई है। चुनाव से पहले से ही कांग्रेस में अपने ही नेताओं की अंदरूनी गुटबाजी इतने चरम पर रही कि कई सीटों पर इसका खामियाजा पार्टी को हार के रूप में करना पड़ा। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव में भितरघात तक। तमाम कांग्रेसी नेता ऐसे हैं जो एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बने हुए हैं। ऐसे में पार्टी को इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। विधानसभा में अगले पांच साल तक विपक्ष की भूमिका में फिर से बैठी कांग्रेस के सदस्य जरूर पहले से बढ़ गए हों लेकिन चुनाव मतगणना होने के करीब 18 दिन बाद भी नेता प्रतिपक्ष तय नहीं हो पाया है। कल यानी 29 मार्च 2022 से विधानसभा में सत्र शुरू होना है, लेकिन कांग्रेसी अपनी गुटबाजी से बाहर नहीं आ पा रहे हैं।

पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह और पूर्व मंत्री और विधायक यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की खबरें छन-छन कर सामने आ रही थीं, लेकिन अंतिम फैसला अभी तक नहीं हो पाया है। भाजपा ने जहां नया मुखिया चुनने के साथ ही मंत्रियों को भी शपथ दिलवा दी है। विधानसभा अध्यक्ष का भी चयन कर लिया गया है। वहीं, कांग्रेस अभी भी हार के सदमे से शायद बाहर नहीं आ पाई है। या फिर यूं कहें कि कांग्रेस में गुटबाजी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिस हरीश रावत रूपी चेहरे के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 48 से ऊपर सीटें जीतने का दावा किया था वह हरीश रावत एक अदने से अनजान जिला पंचायत स्तरीय नेता से हार गए। कम से कम अपने कद और गरिमा को देखने की बजाय हरीश रावत यह भी नहीं समझ पाए कि इससे उनकी कितनी फजीहत हुई। कांग्रेस को रसातल की ओर ले जाने के लिए ऐसे ही नेता देशभर में काम काम रहे हैं। कम से कम उत्तराखंड में तो कांग्रेस को अंदरूनी गुटबाजी ही ले डूबी है, नहीं तो हर कोई यही कह रहा था कि इस बार कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।