Russia-Ukraine Conflict: यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बड़ी राहत, जानिए रूस और यूक्रेन कैसे बने दोस्त से दुश्मन?

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दिल्ली ब्यूरो। नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एक बड़ा फौसला लिया गया है, जिसमें आज यानी की गुरूवार को एयर बबल व्यवस्था से प्रतिबंध

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हटा दिया गया है। एयर बबल व्यवस्था के तहत भारत और यूक्रेन के बीच भरने वाली उड़ानों और सीटों की संख्या पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है। मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि वह विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है।

यूक्रेन में फंसे भारतीय मूल के लोगों को निकालने के लिए मंत्रालय द्वारा ये कदम उठाया गया है। यूक्रेन में करीबन 20 हजार से ज्यादा भारतीय मूल के छात्र और पेशेवर फंसे हुए हैं, जिनको वहां से सही सलामत बाहर निकालने के लिए मंत्रालय ने एयर बबल व्यवस्था से प्रतिबंध हटा दिया है। साथ ही मंत्रालय द्वारा सभी भारतीय एयरलाइंस को उड़ानों की संख्या बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं।  

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रूस और यूक्रेन के बीच गहराती युद्ध की संभावनाओं को देखते हुए वहां पढ़ रहे करीब 20 हजार भारतीय छात्र कीव में फंसे हुए हैं। ये छात्र लगातार केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। जिसके चलते आज सरकार की ओर से उड़ानों पर लागू प्रतिबंधों को हटा लिया गया है। इसके साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय के इस फैसले के तत्काल बाद ही एयर इंडिया ने यूक्रेन के लिए विशेष उड़ानें भी संचालित करने की घोषणा कर दी है।

आपको बताते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच का विवाद आखिरकार क्या है, जिसके चलते रूस यूक्रेन पर हमला करने को तैयार है। 1991 में यूएसएसआर से अलग होने के बाद भी यूक्रेन रूस के साथ खड़ा था। लेकिन विवाद की शुराआत तब हुई जब रूस ने वर्ष 2014 में यूक्रेन के एक हिस्से, क्रीमिया पर हमला किया और उसे रूस में मिला लिया। इसके बाद अमेरिका ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए। साथ ही रूस को जी8 से भी बाहर होना पड़ा।

इस हमले के बाद यूक्रेन को एहसास हो गया कि अगर हम अभी भी नहीं चेते तो रूस हमें पूरी तरह अपने कब्जे में ले लेगा। इस डर के कारण यूक्रेन ने नाटो से हाथ मिलाने की योजना बनाई। यूक्रेन को लगा कि अगर वो नाटो का सदस्य बन जाता है तो रूस उस पर कभी हमला नहीं कर पाएगा क्योंकि नाटो पर हमले का मतलब अमेरिका पर हमला करना है।

इसके साथ ही रूस को भी ये बात अच्छे से पता है कि अगर यूक्रेन भी नाटो का सदस्य बन गया तो नाटो रूस की एक लंबी सीमा तक पहुंच बना लेगा और फिर कुछ भी ऊपर-नीचे होने पर, सभी 31 देश मिलकर रूस पर हमला कर सकते हैं। यही कारण है कि रूस ने अमेरिका को इस विवाद से दूर रहने की सलाह दी है और साथ ही यूक्रेन को नाटो में एंट्री न देने की भी सलाह दी है।

आपको बता दें कि वर्ष 1997 में यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद नाटो कमीशन बनाया गया ताकी यूक्रेन नाटो संगठन का पार्टनर बन सके। वर्ष 2008 में यूक्रेन ने खुलकर ये इच्छा जताई कि वो भी नाटो का सदस्य बनना चाहता है। जिसके बाद यूक्रेन को नाटो से मैसेज मिला कि वो मेंबरशिप के लिए तैयारी करे। इसके बाद वर्ष 2017 में यूक्रेन की संसद ने एक विधान पारित किया जिसमें ये कहा गया कि नाटो की सदस्यता पाना यूक्रेन की विदेश नीति का एक बड़ा उद्देश्य होगा। फिर दिसंबर 2021 में नाटो प्रमुख और यूक्रेन के राष्ट्रपति की मुलाकात हुई। जिसके बाद नाटो को लेकर यूक्रेन की सक्रियता देख रूस ने सीमा पर अपनी फौज को तैनात करना शुरू कर दिया।

अगर आज की बात करें तो यूक्रेन की सीमा पर रूस ने करीबन 1 लाख से ज्यादा सैनिक, जंगी जहाज, गोला-बारूद और टैंक समेत कई अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती कर दी है। इसके साथ ही अमेरिका ने रूस को ये धमकी दी है कि अगर वो यूक्रेन पर हमला करता है तो उसे वैश्विक स्तर पर कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।

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