/ Oct 10, 2024
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टाटा का पार्थिव शरीर मुंबई के नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है, जहां सुबह से ही लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आ रहे हैं। शाम 4 बजे तक आम जनता उनके अंतिम दर्शन कर सकेगी। टाटा के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए बड़ी संख्या में उनके चाहने वाले, प्रतिष्ठित हस्तियां, और विभिन्न क्षेत्रों के लोग एकत्रित हुए हैं। इसके बाद, शाम को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा, जिसमें कई गणमान्य व्यक्ति और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे।
रतन टाटा के निधन की खबर से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत में अद्वितीय योगदान दिया और उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न केवल आर्थिक क्षेत्र में सफलता पाई, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, उद्योगपति गौतम अडाणी समेत कई प्रमुख राजनीतिक और कारोबारी हस्तियों ने भी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। सभी ने रतन टाटा के दूरदर्शी नेतृत्व और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद किया।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे, और भारतीय उद्योग जगत के एक महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते थे। उन्होंने 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में अपनी सेवाएँ दीं और इस दौरान कंपनी ने वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयाँ हासिल कीं। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसे प्रमुख उपक्रमों को नए मुकाम पर पहुँचाया। इसके अलावा, उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिनमें कोरस (Corus) और जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) शामिल हैं, जिससे टाटा ग्रुप को एक वैश्विक पहचान मिली।
2012 में चेयरमैन के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी रतन टाटा कंपनी से जुड़े रहे और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चेयरमैन के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा और परोपकार में लगाया। वे टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख थे, जिनके माध्यम से उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शुरू कीं। रतन टाटा को उनके सादगीपूर्ण जीवन और नैतिक मूल्यों के लिए भी जाना जाता था। उनके निधन से देश ने एक महान उद्योगपति, समाजसेवी, और सच्चे नेता को खो दिया है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा।
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