प्रदेश में 375 पेयजल योजनाओं के लड़खड़ाने से 808 मोहल्ले- बस्तियों में पानी का संकट

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देहरादून ब्यूरो- उत्तराखंड में बढ़ती गर्मी से स्थिति लगातार विकट होती जा रही है। प्रदेश में लगातार पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह हो गई है कि प्रदेश की 375 पेयजल योजनाएं संकट में आ गई हैं। जल संस्थान को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे गांव जहां टैंकरों से पानी नहीं पहुंच सकता है वहां अब घोड़े- खच्चरों से पानी पहुंचाया जा रहा है।

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आप को जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड में 808 मोहल्ले या बस्तियां ऐसी हैं जहां इस बढ़ती गर्मी में पेयजल संकट पैदा हो गया है। इनमें 274 शहरी क्षेत्रों और 534 ग्रामीण क्षेत्रों के मोहल्ले या बस्तियां हैं। इस जगहों पर यह स्थिति प्रदेश की 375 पेयजल योजनाओं के लड़खड़ाने के बाद पैदा हुई है। इनमें 46 पेयजल योजनाएं शहरी क्षेत्रों की हैं और 329 पेयजल योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों की हैं। पेजयल निगम और जल संस्थान ने इस स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाने का काम तेज कर दिया है। दोनों विभागों पेयजल निगम और जल संस्थान ने इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिये हैं। पेयजल आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए 105 करोड़ का बजट रखा गया है। इन विभागों ने पेयजल आपूर्ति के लिए 71 विभागिय टैंकरों के साथ 208 किराये के टैंकरों को भी लगा दिया है। 114 जेनरेटर भी इस काम के लिए लगा दिये गये हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में 14 और ग्रामीण क्षेत्रों में 42 हैंडपंप भी लगाये जा रहे हैं। इसके अलावा विभाग उन गांवों में खोड़े- खच्चरों के जरिए पेयजल आपूर्ति कर रहा है जहां टैंकरों से पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इस व्यवस्था को बनाये रखने के लिए शासन स्तर पर दो नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं जो दोनों विभाग पेयजल निगम और जल संस्थान में समन्वय बनाने का काम भी कर रहे हैं।