/ Sep 27, 2024
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PITRU PAKSHA 2024: पितृ पक्ष के समय श्राद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनकी कृपा प्राप्त करने का अवसर होता है। लेकिन इसके साथ ही कुछ विशेष वास्तु नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है। अगर इन नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया जाता है, तो पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे परिवार में परेशानियां और कष्ट बढ़ सकते हैं। इसलिए आज हम आपको विस्तार से उन नियमों के बारे में बताएंगे, जिनका पालन करके आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे।
सबसे पहले, पितृ पक्ष के दौरान अपने घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना बेहद आवश्यक होता है। घर का हर कोना, चाहे वह रसोई हो, बेडरूम हो, या फिर कोई अन्य स्थान, एकदम साफ-सुथरा होना चाहिए। इसे इस तरह से साफ किया जाना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान यह विश्वास किया जाता है कि हमारे पूर्वज घर की स्वच्छता देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं। साफ-सुथरे घर में पितरों का आगमन शुभ माना जाता है, और इसके परिणामस्वरूप, घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह घर के सदस्यों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
पितृ पक्ष के दौरान एक और महत्वपूर्ण नियम यह है कि हर शाम घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा को पितरों का स्थान माना जाता है और यहां दीया जलाने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। सरसों के तेल का दीया जलाना पितरों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक प्रभावशाली तरीका है और इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार का विशेष महत्व होता है। यह घर का वह स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और इसलिए पितृ पक्ष के दौरान इसे विशेष रूप से साफ-सुथरा रखना चाहिए। घर के मुख्य द्वार को हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रखना चाहिए। इसके अलावा, रोज सुबह के समय मुख्य द्वार पर जल चढ़ाने की परंपरा का पालन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि की वर्षा होती है। जल चढ़ाते समय मन में अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और आभार की भावना रखनी चाहिए।
पितरों की तस्वीर को लेकर भी वास्तु शास्त्र में कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। पितरों की तस्वीर को कभी भी घर के बेडरूम, पूजा घर या रसोई में नहीं लगाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है, तो इसे अशुभ माना जाता है और इसके परिणामस्वरूप परिवार को आर्थिक नुकसान और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पितरों की तस्वीर को घर की दक्षिण दिशा में लगाने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह दिशा पितरों की प्रिय मानी जाती है और यहां उनकी तस्वीर रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इसके अलावा, अगर आपके घर का कोई नल टपक रहा हो, तो उसे तुरंत ठीक कराना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, टपकते नल से घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन की हानि होती है। इससे पितर नाराज हो सकते हैं और घर में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, पितृ पक्ष के दौरान घर की मरम्मत और सुधार का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि पितरों की कृपा और आशीर्वाद घर पर बना रहे।
पितृ पक्ष के दौरान गाय, कौए और कुत्तों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह प्रक्रिया पितरों को प्रसन्न करने का एक माध्यम है और इसे नियमित रूप से करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब हम इन जीवों को भोजन कराते हैं, तो हमारे पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और वे हमें अपना आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद परिवार के सदस्यों की समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली के रूप में प्रकट होता है। इसलिए, पितृ पक्ष के दौरान इन जीवों को भोजन कराना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे श्रद्धा और आस्था के साथ करना चाहिए।
तर्पण और श्राद्ध के समय दिशा का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक होता है। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्राद्ध और तर्पण करने का महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण दिशा पितरों की दिशा होती है, और इस दिशा में मुख करके किए गए श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, पितृ पक्ष के दौरान दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने और बैठने से भी बचना चाहिए, क्योंकि यह पितरों का अनादर माना जाता है। अगर ऐसा किया जाता है, तो पितर नाराज हो सकते हैं और इससे घर में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
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