गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान?
गया में पिंडदान का क्या महत्व है ?
Pind Daan in Gaya
इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर यानी शनिवार से शुरु हो रहे हैं और 16 दिनों तक हिंदू धर्म में लोग अपने पितरों को याद करते हैं और उनकों पिंडदान दिया जाता है।
बिहार के गया में पिंडदान का अलग ही महत्व है. कहा जाता है कि गया में Pind Daan करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है।
Gaya का इतिहास
गया की धरती पर खुद माता सीता ने फ्लगु नदी के तट पर बालू का पिंड राजा दशरथ को दिया था. मान्यता है कि उनके इस पिंडदान के बाद राजा दशरथ को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।
गयासुर का वरदान
जब एक बार परमपिता ब्रह्रा से गयासुर ने वरदान मांगा कि उसका शरीर देवताओं की तरह पवित्र हो जाए और हर व्यक्ति उसके दर्शन पाने से ही पवित्र हो जाए। जिसके बाद लोग बिना भय के पाप करने लगे और गयासुर के दर्शन मात्र से पाप मुक्त होने लगे। गयासुर के इस वरदान से स्वर्ग में काफी भीड़ बढ़ गई। फिर देवता परेशान हो गए और उन्होंने यज्ञ करने के लिए पवित्र स्थल मांगा। गयासुर ने देवताओं को उनके शरीर पर यज्ञ करने को कहा और वो लेट गया। गयासुर जब लेटा तो वो पांच कोस में फैल गया इसी 5 कोस में गया भी फैला हुआ है। गयासुर के मन से लोगों को पाप से मुक्त करने की इच्छा कभी खत्म नहीं हुई और उसने देवताओं से वरदान मांगा कि यह स्थान लोगों को मोक्ष देने के लिए बना रहे।
गयासुर ने देवताओं से वरदान मांगा कि जो भी लोग यहां पिंडदान (Pind Daan in Gaya) करेंगे उन्हें तुरंत मुक्ति मिल जाएगी। खुद भगवान नारायण ने अपना दाहिना पैर गयासुर के ऊपर रखा है।
Pind Daan in Gaya
पुराणों के अनुसार पितरों के लिए खास अश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है। पितृ की श्रेणी में मृत पूर्वजों में माता पिता दादा दादी नाना नानी सहित सभी पूर्वज शामिल होते हैं।
माना जाता है कि गया जी जाने से आपके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि गया में श्राद्ध करने से पितरों को इस संसार से मुक्ति मिलती है। गरुड पुराण के अनुसार गया जी जाने के लिए घर से गया जी की ओर बढ़ते हुए कदम पितरों के लिए स्वर्ग की ओर जाने की सीढ़ी बनाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार गया में श्राद्ध करने के के बाद अपने पितरों के निमित्त तर्पण और ब्रह्राण भोजन बंद नहीं करना चाहिए,केवल उनके निमित्त धूप छोड़ना बंद करना चाहिए।गया श्राद्ध के बाद बह्रकपाली में श्राद्ध किया जाना चाहिए।
गया में Pind Daan में कितना पैसा लगता है
गया शहर के 4-5 मुख्य वेदियों पर पिंडदान के लिए लगभग 2-5 हजार रुपए लग सकते हैं वहीं शहर से बाहर बोधगया या प्रेत शिला पर पिंडदान के लिए के लिए ज्यादा पैसे लग सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति फल्गु नदी या विष्णुप्रद मंदिर में पिंडदान करना चाहे तो उसे लगभग 500 रुपये देने पड़ सकते हैं।
Pind Daan in Gaya
पिंडदान में उपयोग होने वाली आवश्यक सामाग्री
श्राद्ध के तर्पण करने के लिए तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल, आदि की आवश्यकता होती है।
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