Masterchef Pankaj Bhadouria की मां को इन्होंने मारा था ताना, “ओ लै कुड़ी नू होटल च पात्ता?”

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देहरादून ब्यूरो। किसी मुकाम तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं होता अपनी मंजिल पाने के लिए एक इंसान को समाज के कई सारे तानों से गुजरना पड़ता है। आज अगर कोई बड़ी शख्सियत है तो कभी वह भी ऐसे समाज की मानसिकता का शिकार हुई होगी, उसने भी अपनी कभी हिम्मत बांधी होगी इनसे लड़ने की।

जिन्दगी में अपना करियर चुनते वक्त लोगों के तानों से आपका सामना सबसे ज्यादा होता है। कुछ लोग इन तानों के जहर को अमृत समझकर निगल जाते हैं और हासिल करते हैं वो मुकाम जिस पर वह पहुंचना चाहते थे और कुछ लोग इंसानों के इस जहर को अमृत में नहीं बदल पाते और समाज की भेड़ चाल में चलने लगते हैं, अपने सपनों को भूलने लगते हैं। मगर आज की कहानी उनकी है जो अपने सपनों को भूली नहीं बल्कि कई सालों तक इन्होंने अपने सपने को अपने अंदर जिंदा रखा और इसी वजह से वह ऐसी शख्सियत बनी की उन्हें देश में क्या विदेश तक में जाना जाने लगा।

इनकी मां को समाज द्वारा ताना मारा गया था, वो ताना था “ओ ले, होटल च पाता कुड़ी नू ? इसके बाद दूसरा ताना इनको 38 साल की उम्र में मारा गया वो भी एक Educational Institution द्वारा, जो था, आपको Glamorous world attract कर रहा है। इन सभी तानों को अब इन्होंने अपनी हिम्मत बनाया और बन गईं India’s Master Chef जिनका नाम है पंकज भदौरिया।

पंकज भदोरिया जब 13 साल की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया था। ये वो समय था जब उन्हें अपने माता पिता दोनों की सबसे ज्यादा जरूरत थी। अपने करियर के बारे में डिस्कस करने की और कोई भी डिसीजन लेने की। पंकज भदौरिया के पास अब कोई ऑप्शन नहीं था अब उन्हें खुद से ही अपना career डिसाइड करना था। 11th और 12th में आने के बाद उनको पता चला की banking, Teaching और Govt. jobs के अलावा भी कई सारे Options होते हैं।

शुरू से ही कुकिंग का शौक रखने वाली पंकज भदौरिया ने अपना प्रोफेशन चूज़ किया कुक बनना। जिसके बाद उन्होंने IHM Pusa  में एडमिशन लिया और बस इसी के बाद से शुरू हुआ तानों का दौर। पंकज भदौरिया की एक रिश्तेदार जब उनके घर आती हैं तो उनकी मां को कहते हैं.. ओ ले कुड़ी नू होटल चा पाता?

उस दौर पर माना जाता था कि किसी भी लड़की के लिए teaching, Govt. Job या फिर banking सबसे ज्यादा  अच्छी safe और respectable job है। लड़कियों के होटल में काम करने को उस समय सही नजरिए से नहीं देखा जाता था जिसके कारण पंकज भदौरिया को 1 साल तक समाज के कई सारे तानों से गुजरना पड़ा। इसके साथ ही पंकज भदौरिया को ये भी मालूम था कि formal Education लेना भी उतना ही इंपॉर्टेंट है जितना की अपने passion को फॉलो करना।

पंकज भदौरिया ने अपना bachelors किया इसके बाद English में masters किया and unfortunately मास्टर करते समय ही उनकी मॉम की डेथ हो गई। पंकज भदौरिया के आगे पीछे कोई ना था, इसके साथ ही उनके ऊपर एक और जिम्मेदारी थी उनके छोटे भाई की। इस समय पर काम आई उनकी formal education जिस पर उनकी मां हमेशा emphasize  करती थी। इसके पीछे एक कारण था। दरअसल पंकज भदौरिया की मां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थीं और जब पंकज भदौरिया के पिता का देहांत हुआ तो उनकी मां को उनके पिता के ऑफिस में बहुत अच्छी पोस्ट नहीं मिली क्योंकि वह इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी। पंकज भदोरिया के जीवन में मां की ये सीख काम आई  और मां के चले जाने के बाद उन्होंने एक स्कूल में टीचिंग करना शुरू किया। इसके साथ ही पंकज भदौरिया ने  B.ed  भी किया क्योंकि वह जानती थी कि अगर उन्हें टीचिंग फील्ड में आगे बढ़ना है तो उन्हें यह करना जरूरी है।

B.Ed करने के बाद अब पंकज भदौरिया Senior Classes  को पढ़ाने लगी और आगे उन्होंने 16 साल तक स्कूल में ही पढ़ाया। 16 साल तक पढ़ाने के बाद टीवी में advertisement आया India’s masterchef का। जिसके बाद कई सालों तक अपने शौक को मन में डबाए रखने के बाद अब पंकज भदौरिया को दूसरा मौका मिला था। मौका अपने सपनों की एक बार फिरसे उड़ान भरने का। लेकिन Again उनके आगे थी एक और चुनौती, 16 साल की उनकी जॉब।

पंकज भदौरिया ने India’s Master Chef का audition दिया और इसे clear करने के बाद वो next round में गईं जिसे boot camp कहा जाता है। इस समय पर उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था क्योंकी ये अगर वो boot camp qualify कर जाती हैं तो वो आगे जाएंगी और उन्हें Top 12 में जगह मिलेगी और अगर नही तो उन्हें वापिस अपने घर जाना पड़ेगा। लेकिन Boot Camp के लिए उन्हें अपने स्कूल से 3 महीने की छुट्टी चाहिए थी। अब पंकज भदौरिया को कहीं न कहीं मालूम था कि उन्हें इतनी लंबी छुट्टी मिलना काफी मुशकिल है। ये जानते हुए वो school administration से बात करने गईं। जहां उन्हें A Big No के साथ साथ एक ताना complimentary मिला। पंकज भदौरिया को अपनी रिश्तेदार द्वारा अपनी मां को मारा गया ताना याद आ गया और उन्होंने काफी सोचा। उन्होंने सोचा कि अगर लाइफ उन्हें एक 2nd chance दे रही है तो वो क्यों न ले, इसके साथ ही उनके मन में ये भी चल रहा था कि अगर उन्होंने Boot Camp Qualify नही किया तो उनका सपना भी टूट जाएगा और साथ ही उनके हाथों उनकी 16 साल की जॉब भी चली जाएगी। दिमाग में प्रश्नों का भूचाल चल रहा था और आखिर में पंकज भदौरिया ने ये सोचते हुए वो Decision लिया जिसने उनकी जिंदगी बदल डाली, कि अगर इस मौके को डर के मारे छोड़ दिया तो जिन्दगी भर Regret रहेगा। और वाकई में इस decision ने उनकी लाइफ ही बदल डाली और पंकज भदौरिया बन गई India’s Master Chef 1 की विजेता जिसके बाद उन्हें केवल भारत में ही नही बल्की विदेशों में भी जाना जाने लगा।

पंकज भदौरिया के जजबे के कारण और उनकी लाइफ द्वारा दिए गए दूसरे chance को समझने के कारण ही पंकज भदौरिया बनी India’s 1st Master Chef. आप भी अपनी लाइफ द्वारा दिए गए दूसरे Chance को समझिए और निकल पड़िए अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए।