भाजपा का टिकट ठुकराकर कुलदीप ने निर्दलीय किया नामांकन !

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भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता था केदारनाथ विधानसभा से कुलदीप रावत को दिया जाए टिकट, मगर कुलदीप नहीं माने
कुलदीप की भाजपा को नसीहत, पुराने कार्यकर्ता को दे भाजपा टिकट

रुद्रप्रयाग (नरेश भट्ट): केदारनाथ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप रावत ने भाजपा के टिकट को ठुकराकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कोरोना गाइड लाइन का पालन कर नामांकन करवा दिया है। वे पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर आये थे और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व टिकट देने को लेकर बार-बार उनसे संपर्क किये हुए था, मगर कुलदीप ने भाजपा के टिकट ना लेते हुए निर्दलीय तौर पर नामांकन करवा दिया। उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि उनके कार्यकर्ता नहीं चाहते थे वे भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़े। भाजपा को उन कार्यकर्ताओं को टिकट देना चाहिए, जो पार्टी की वर्षो से सेवा कर रहे हैं।

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बता दें कि भाजपा ने अभी तक केदारनाथ विधानसभा से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप रावत से संपर्क बनाये हुए था और उनके सामने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रख रहा था। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप रावत ने निर्दलीय तौर पर नामांकन करवा दिया। उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का प्रस्ताव साफ तौर पर ठुकरा दिया। नामांकन के बाद मीडिया से मुखातिब होते हए निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत ने कहा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनसे लगातार संपर्क बनाए हुए था, मगर उनके समर्थक और वे स्वयं भाजपा में नहीं जाना चाहते थे। उनका मानना है कि भाजपा को ऐसे व्यक्ति को टिकट देना चाहिए, जो व्यक्ति वर्षो से पार्टी की सेवा में जुटा है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सम्मान का धन्यवाद अदा करते हैं, लेकिन जिस पार्टी में टिकट के 11 दावेदार पहले से खड़े हैं, वहां का टिकट लेकर समर्थकों का विश्वास नहीं तोड़ सकता। कहा कि राष्ट्रीय पार्टियों के प्रति जनता के मन में भारी निराशा है। युवाओं के साथ ही क्षेत्रीय जनता का सहयोग मिल रहा है। उस सहयोग का अपमान करके भाजपा से टिकट नहीं लड़ना है। कहा कि निर्दलीय नामांकन करने से उनके समर्थकों में खासा उत्साह बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ विधानसभा में मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। पेयजल, सड़क, दूर संचार, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं क्षेत्र में  नहीं हैं। कोरोना काल में हजारों लोग  घर लौटे हैं। उन लोगों तक रोजगार नहीं पहुंचा है। रोजगार को लेकर युवा परेशान है। राष्ट्रीय पार्टियों से जनता परेशान हो चुकी है और अब उन्हें तीसरे विकल्प के रूप में केदारघाटी देख रही है।