Uttarakhand News: Karva Chauth Festival: आज पूरे देश में बड़े धूमधाम से करवा चौथ का त्यौहार मनाया जा रहा है। हिंदू सुहागिन महिलाओं ने अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखा हुआ है। लेकिन ये आपको भी जानकर हैरानी होगी कि भारद्वाज गोत्र में त्यागी समाज के एक दो नहीं पूरे 12 गावों में आज भी किसी सुहागिन ने करवाचौथ का व्रत नहीं रखा है। यही नहीं इन 12 गावों के लोग पूरे देश ही नहीं विश्व में कहीं भी हो वे इस व्रत को नहीं मनाते हैं।
Karva Chauth Festival: 12 गांव की सुहागिन नहीं रखती करवा चौथ का व्रत
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर खाईखेड़ी, घुमाकोटी, फलौदा, बरला, छपार, खुड्डा और भैंसाणी सहित 12 ऐसे गांव है जहां बीकवान भारद्वाज गोत्र के त्यागी समाज में सुहागिन इस करवा चौथ (Karva Chauth Festival) के व्रत को नहीं रखती हैं। यही नहीं इस गोत्र के लगभग 300 परिवार रुड़की में रहते हैं और हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार और काशीपुर में करीब 100 परिवार रहते हैं। अपने गांव से दूर रहकर भी इस समाज की महिलाएं कभी भी करवाचौथ का व्रत नहीं रखती हैं।
Karva Chauth Festival: 300 सालों से चली आ रही है ये परंपरा
बताया जाता है कि भारद्वाज गोत्र के त्यागी समाज में करीब 300 साल पहले एक युवक की बारात हरियाणा से लौट रही थी। लौटते समय रात होने के कारण युवक की बारात सहारनपुर जिले के जड़ौदा पांडा गांव के पास एक बाग में विश्राम करने के लिए रूकी। रात सोते समय दूल्हे को सांप ने डस लिया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद नवविवाहिता ने अपने पति के साथ ही सति हो गई। तब से ही इन 12 गांव के रहने वाले त्यागी समाज के लोग करवा चौथ के व्रत (Karva Chauth Festival) को नहीं मानते हैं।
Karva Chauth Festival: आज भी बुजुर्ग नहीं देते व्रत रखने की अनुमति
इन 12 गांव के भारद्वाज गोत्र के त्यागी समाज से जुड़े लोग विदेशों तक पहुंच गए हैं। कई बार इनकी आधुनिक पीढ़ी ने करवा चौथ के व्रत को लेकर चली आ रही परंपरा को तोड़ने का प्रयास भी किया, लेकिन इस समाज के बुजुर्ग व्यक्तियों ने अनहोनी के डर से करवा चौथ के व्रत रखने की अनुमति किसी भी सुहागिन को नहीं दी। इन परिवारों के बेटी शादी के बाद करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं उनके व्रत रखने पर किसी तरह की कोई मनाही नहीं है।
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