/ Aug 06, 2025
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KARTAVYA BHAVAN: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थित कर्तव्य भवन-03 का उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का एक अहम हिस्सा है। यह कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) की पहली इमारत है, जिसका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों को एक छत के नीचे लाकर प्रशासनिक दक्षता, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना है। इस मौके पर केंद्रीय शहरी और आवास विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर और मंत्रालय के सचिव कटिकिथला श्रीनिवास भी उपस्थित रहे। कर्तव्य भवन-03 कुल 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला एक अत्याधुनिक कार्यालय परिसर है, जिसमें दो बेसमेंट और सात मंजिलें (भूतल सहित) हैं।
इस भवन में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास, लघु, छोटे और मध्यम उद्यम मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, तथा प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय कार्य करेगा। इसमें 24 बड़े कॉन्फ्रेंस रूम (प्रत्येक की क्षमता 45 लोग), 26 छोटे कॉन्फ्रेंस रूम (25 लोगों की क्षमता), 67 मीटिंग रूम और 27 लिफ्टें मौजूद हैं। कर्मचारियों और आगंतुकों की सुविधा के लिए क्रेच, योग कक्ष, मेडिकल रूम, कैफे, रसोई और बहुउद्देशीय हॉल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
इस भवन को पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। यह GRIHA-4 रेटिंग को लक्ष्य करता है और पारंपरिक भवनों की तुलना में 30% कम ऊर्जा का उपयोग करता है। इसमें डबल-ग्लेज़्ड खिड़कियां, छत पर सौर पैनल, सौर वाटर हीटर, उन्नत HVAC सिस्टम और वर्षा जल संचयन की सुविधा है। हर साल लगभग 5.34 लाख यूनिट बिजली सौर ऊर्जा से उत्पन्न होगी। यह परिसर शून्य-उत्सर्जन नीति के तहत बनाया गया है, जहां अपशिष्ट जल का उपचार कर दोबारा उपयोग किया जाएगा और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली भी मौजूद है।
कर्तव्य भवन-03, सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाले दस नियोजित CCS भवनों में से पहला है। सरकार पहले ही नया संसद भवन, उपराष्ट्रपति एन्क्लेव और कर्तव्य पथ का पुनर्विकास पूरा कर चुकी है। योजना के अनुसार, कर्तव्य भवन-1 और 2 अगले महीने तक पूरे हो जाएंगे, जबकि भवन 10 अप्रैल 2026 तक और भवन 6 व 7 अक्टूबर 2026 तक तैयार होंगे। परियोजना का लक्ष्य 2027 तक सभी दस भवनों को पूरा करना है। भविष्य में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में स्थित गृह मंत्रालय और कार्मिक विभाग सहित अन्य मंत्रालयों को भी कर्तव्य भवन में स्थानांतरित किया जाएगा।
इस भवन का निर्माण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फिलहाल कई प्रमुख मंत्रालय 1950 और 1970 के दशक में बने शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसे पुराने ढांचों से काम कर रहे हैं, जिनकी संरचना अब पुरानी और अक्षम हो चुकी है। इन भवनों में रखरखाव लागत अधिक है और यह आधुनिक शासन की जरूरतों के अनुकूल नहीं हैं। वहीं नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को ‘युगे युगीन भारत’ संग्रहालय में परिवर्तित किया जाएगा, जिसमें महाभारत काल से लेकर आधुनिक भारत तक का इतिहास, कला और संस्कृति प्रदर्शित होगी।
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