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जोशीमठ भू-धँसाव की रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, तो ये हैं शहर के धँसने के कारण

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JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS

UTTARAKHAND DEVBHOOMI DESK:नैनीताल हाईकोर्ट के दवाब के बाद राज्य सरकार की ओर से JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS की वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। विभिन्न वैज्ञानिक टीम के द्वारा किए गए जांच की रिपोर्ट आने के बाद अब जोशीमठ भूधंसाव  के कुछ कारण पता चलें है। आइए जानते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या है?

JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS
JOSHIMATH LANDSLIDE

JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS में मोरेन की भूमिका

रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ हिमालयी इलाके में जिस ऊंचाई पर बसा है, उसे पैरा ग्लेशियल जोन कहा जाता है। जिसका मतलब है कि इस स्थान पर कभी ग्लेशियर थे, लेकिन बाद में ग्लेशियर पिघल गए और उनका मलबा बाकी रह गया। इससे पहाड़ जैसी संरचना बनती है जिसे मोरेन कहा जात है। जोशीमठ ऐसे ही मोरेन पहाड़ के ऊपर बसा है। इस रिपोर्ट के अनुसार मोरेन क्षेत्र में बसे जोशीमठ की जमीन के भीतर पानी के रिसाव के कारण चट्टानों खिसक रही है। जो कि JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS  में से एक कारण है।

JOSHIMATH LANDSLIDE

जोशीमठ में भूमिगत क्षरण हो रहा है

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अनुसार जोशीमठ की मिट्टी बोल्डर, बजरी और मिट्टी के मिश्रण से बनी हुई है। ये बोल्डर ग्लेशियर से बह कर आई बजरी और मिट्टी से बने हैं। JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी मिट्टी में आंतरिक क्षरण होने के कारण ये बोल्डर धंस रहे हैं और जमीन अपना स्थान छोड़ कर धंस रही है।

JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS

पानी की निकासी और धारण क्षमता भी हैं कारण

नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद के द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार जोशीमठ में 20 से 50 मीटर गहरा भूधंसाव हुआ है। संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ में कई स्थानों पर 50 मीटर गहरा धँसाव हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS अधिक भवनों का निर्माण, पानी की ठीक से निकासी नहीं होना, जंगलों का कटाव, प्राकृतिक जल स्रोतों के रास्तों में रूकावट, भवनों का विस्तार बढ़ना आदि हैं।

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रिपोर्ट में एनटीपीसी को ‘क्लीन चिट’

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) ने जोशीमठ में किए अध्ययन के बाद अपनी JOSHIMATH LANDSLIDE REASONS  की रिपोर्ट में चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर एनटीपीसी की 520 मेगावाट विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को ”क्लीन चिट’ दी है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में पांच जनवरी को स्थानीय लोगों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने एनटीपीसी परियोजना स्थल पर सभी काम रुकवा दिए थे।

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