रुद्रप्रयाग, ब्यूरो। भगवान भेाले की यात्रा इस मौसम में करना किसी खतरे से खाली नहीं है। जान जोखिम में डाल कर श्रद्धालु बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। रास्ते में कितना मलबा, पत्थर आ जा रहे हैं लेकिन इनकी श्रद्धालुओं को कोई चिन्ता नहीं है। सब कुछ बाबा के ऊपर छोड़कर बाबा के दरबार में जो पहॅूचना है। बरसात के मौसम में पहाड़ों पर यात्रा करना बहुत कठिन और संघर्षपूर्ण है। ऋृषिकेश बद्रीनाथ राजमार्ग से लेकर रुद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राजमार्ग व केदारनाथ पैदल मार्ग पर किस प्रकार से श्रद्धालु रास्ता तय कर रहे हैं। लेकिन जब आस्था अटूट हो जाती है तो उसके आगे सब कुछ कम नजर आता है। खतरनाक जोखिम भरे, पानी के झरनों और ऊबड़ खाबड़ रास्ते नापकर श्रद्धालु बाबा के दरबार पहुंच रहे हैं।
केदारनाथ धाम यात्रा : जान जोखिम में डालकर KEDARNATH पहुंच रहे भोले के भक्त
श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच में सिरोहबगड़ में बरसात के सीजन में लगातार पहाड़ी से पत्थरों की बारिश हो रही है। श्रद्धालुओं को घण्टों जाम में फसकर आगे रास्ता तय करना पड़ रहा है। सोनप्रयाग के आगे मुनकटिया में दिन रात पहाड़ी से भू -धसाव के साथ पहाड़ी से लैंडस्लाइड एवं पत्थर गिर रहे है। दो बार इस स्थान पर हादसा भी हो गया है तो वहीं केदारनाथ पैदल मार्ग पर भैरव गदेरे के पास पहाड़ी से निकल रहा बरसाती झरना कितना तेज है इन तस्बीरों से स्पष्ट दिखाई दे रहा है। कि झरना इतना तेज और इतना बड़ा है कि रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है घोडे खच्चर और पैदल जाने वाले श्रद्धालु भी दिल कठोर कर आगे बढ़ रहे है। लेकिन श्रद्धालु किसी तरह से इससे पार कर ही रहे है। अगर थोड़ा सी चूक हो गयी तो सीधे पहाड़ी से मंदाकिनी नदी में जाना पडेगा। वहीे पुलिस अधीक्षक रूद्रप्रयाग का कहना है कि भैरव गदेरे में पहाड़ी से तेज झरना बहता है वहां पुलिस की व्यवस्था की जाती है जब पानी कम हो जाता है तभी श्रद्धालुओं को आगे भेजा जाता है। रास्ते में गाड़ीयों के उपर पेड़ पत्थर गिर रहे है। लेकिन ये हादसा उस समय हुआ जब गाडीयों में सवारी नहीं थी अगर सवारी होती निष्चित तौर पर बड़ा हादसा हो सकता था। अगर आप भी बाबा के दरवार में जा रहे है तो जरा सावधान हो जाये बरसाती मौसम पहाड़ों मुसीबत ला सकता है।