/ May 31, 2025

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चीन ने बनाया नया अंतरराष्ट्रीय संगठन, हांगकांग होगा वैश्विक मध्यस्थता का नया केंद्र

IOMed CHINA: चीन ने दुनिया के देशों के बीच आपसी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर मेडिएशन (IOMed) नाम से एक नया अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाया है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य व्यापार, सीमा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को आपसी बातचीत और मध्यस्थता के ज़रिए सुलझाना है। IOMed का मुख्यालय हांगकांग में होगा और इसकी शुरुआत 30 मई 2025 को एक भव्य समारोह में की गई। इस आयोजन में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने संगठन का औपचारिक उद्घाटन किया।

IOMed CHINA
IOMed CHINA

IOMed CHINA की हांगकांग में स्थापना 

इस समारोह में एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप के 85 देशों के लगभग 400 उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, साथ ही 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। चीन का कहना है कि IOMed अंतरराष्ट्रीय कानून को मजबूत करेगा और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने में मदद करेगा। IOMed के संस्थापक सदस्यों में पाकिस्तान, इंडोनेशिया और क्यूबा समेत 33 देश शामिल हैं। चीन का दावा है कि यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का सम्मान करेगा और निष्पक्ष समाधान देने की कोशिश करेगा।

IOMed CHINA
IOMed CHINA

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इसे चीन की एक रणनीतिक पहल मानते हैं, जिसका मकसद अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठनों को चुनौती देना है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, IOMed की स्थापना वैश्विक कूटनीति में एक नया अध्याय खोल सकती है, लेकिन इसकी भूमिका, कार्यप्रणाली और प्रभाव को लेकर अभी भी पूरी स्पष्टता नहीं है। जापानी समाचार एजेंसी संकेई न्यूज ने भी कहा है कि फिलहाल यह साफ़ नहीं है कि IOMed किन मुद्दों पर सीधे काम करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस संगठन के जरिए वैश्विक शासन व्यवस्था में अपनी भूमिका को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

IOMed CHINA
IOMed CHINA

विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन अब विकासशील देशों में अपने प्रभाव को और गहरा करना चाहता है। यह पहल ऐसे समय पर की गई है जब चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध और टैरिफ से जुड़े तनाव चरम पर हैं। भारत ने अब तक IOMed को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह साफ़ है कि भारत इस संगठन की गतिविधियों पर करीबी नजर रखेगा। भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे और सीमा विवादों को देखते हुए, भारत के लिए यह संगठन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।

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