हरिद्वार (अरुण कश्यप) : हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर टिकट बंटवारा कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होने लगा है, प्रदेश में आगामी 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव हो रहे हैं यानी मात्र 3 सप्ताह बाद प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर सबसे बड़ा दंगल होगा, लेकिन हरिद्वार ग्रामीण में कांग्रेस के टिकट पर कौन चुनाव लड़ेगा इस पर भारी संशय है जिसे लेकर पार्टी में कहीं ना कहीं अंदर खाने घमासान मचा है।
शायद हरीश रावत अब तक उस हार का दंश झेल , यही कारण है कि वह हरिद्वार ग्रामीण पर टिकट की दावेदारी से पहले पूरी तरह जीत के लिए आश्वस्त हो जाना चाहते हैं। क्योंकि यदि वह फिर से हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट हार जाते हैं, तो उनके राजनीतिक जीवन पर ऐसा ग्रहण लग जाएगा जो शायद फिर भविष्य में कभी ना छठ पाए।
क्योंकि पिछली बार के मुकाबले इस बार कांग्रेस में ही उनका विरोधी कहे जाना वाला प्रीतम गुट हावी है ,हाल ही में भाजपा से 6 वर्ष के लिए निष्कासित हरक सिंह रावत भी अब कांग्रेस में आने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं चर्चा यह है कि वह हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर भी अपनी संभावनाएं तलाश सकते हैं, हरक सिंह रावत के बारे में एक बात काफी प्रसिद्ध है कि वह कभी चुनाव हारने के लिए नहीं लड़ते ।
वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर परिस्थितियां कांग्रेस के अनुकूल है, जिसे बनाने के लिए हरीश रावत ने खासा मेहनत भी की है पिछली बार कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण उसके कैडर मुस्लिम वोट बैंक का वर्गीकरण रहा था ।
पिछली बार बी.एस.पी. के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ने वाले मुकर्रम अंसारी को हरीश रावत की हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जाता है, मुकर्रम अंसारी ने कांग्रेस के केडर वोट में सेंध लगाते हुए करीब उन्नीस हजार वोट अपनी झोली में डाले थे, यही वोट बैंक का वर्गीकरण स्वामी यतीश्वरानंद की जीत और हरीश रावत की हार का अप्रत्याशित प्रमुख कारण बना था । लेकिन इस बार हरीश रावत ने चुनावी समीकरण को अपने अनुकूल करने के लिए बिसात बिछाई और पिछली बार अपनी हार के सबसे बड़े कारण रहे बीएसपी नेता मुकर्रम अंसारी को टीम कांग्रेस का हिस्सा बना लिया। मुकर्रम अंसारी के साथ उनके सैकड़ों समर्थकों ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की ।जिससे हरीश रावत कांग्रेस का कैडर वोट बैंक कहे जाने वाले मुस्लिम वोटरों को का ध्रुवीकरण करने में भी कामयाब होते दिखाई दिए। लेकिन हालिया सरकार में पहले राज्य मंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री बनने वाले स्वामी यतिस्वरानंद का कद भी अब काफी ऊंचा हो चुका है ,साथ ही उनके समर्थकों की तादाद भी पहले से काफी ज्यादा बढ़ गई है जो इस सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार के लिए एक पहाड़ जैसी मुश्किल पैदा करेगा,बीएसपी ने आसान की कांग्रेस की मुश्किलें
बहुजन समाज पार्टी में टिकट के बंटवारे के दौरान होने वाली अंदरूनी सांठगांठ जगजाहिर है, इसी सांठगांठ के चलते कई बार ऐसे प्रत्याशियों को बीएसपी से टिकट मिल जाता है ,जिनकी दूर तक कहीं संभावना नहीं होती इस बार भी बहुजन समाज पार्टी ने हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर डॉ. दर्शन सिंह शर्मा को टिकट देकर फिर से लोगों को अचंभे में डाल दिया था, बहुजन समाज पार्टी में हरिद्वार ग्रामीण से टिकट की आस लगाए बैठे दो नेताओं मुकर्रम अंसारी और इरशाद अली को जब यह पता चला कि वो टिकट बंटवारे से दूर है तो उन्होंने बीएसपी छोड़ने का मन बना लिया और धीरे धीरे हरीश रावत से नजदीकी बढ़ाई और हाथ का के साथ हो लिए,जिसका बड़ा खामियाजा सीधे तौर से अब यहां बीएसपी उम्मीदवार को भुगतने को मिलेगा,क्योंकि अब मुस्लिम वोटर बीएसपी की पहुंच से यहां दूर माना जा रहा है ।
टिकट की आस में और भी कई चेहरे
कांग्रेस की टिकट की आस में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से और भी ऐसे कई चेहरे हैं जो आस लगाए बैठे हैं, जिनमें गेंडि खाता क्षेत्र से गुरजीत लहरी, रसूल पुर मिठीबेरी क्षेत्र से श्रुति लखेरा, पदर्था से एडवोकेट हनीफ अंसारी, बहादराबाद से दाताराम चौहान यह वह कांग्रेसी नेता है जो कहीं ना कहीं खुद को अब भी टिकट का बड़े दावेदार बता रहे हैं, और टिकट मिलने पर भारी जीत का दावा भी कर रहे है ।