माता पार्वती (goddess parvati) ने गाय को क्यों दिया था श्राप?

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माता पार्वती (goddess parvati) ने गाय को क्या श्राप दिया था?

क्या आपको मालूम है कि देवता की तरह पूजी जाने वाली गाय पर क्रोधित होकर एक बार माता पार्वती (goddess parvati) ने गाय माता को श्राप दे दिया था। हिंदु धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और माना जाता है कि जब भी आप अपनी रसोई में रोटी बनाएं तो सबसे पहली रोटी गाय माता के लिए निकालनी चाहिए। मगर ऐसा क्या किया था गाय माता ने कि माता पार्वती ने गाय माता को श्राप दे दिया।

शिव पार्वती की ठिठोली के बीच माता पार्वती ने गाय को श्राप क्यों दिया?

goddess parvati and lord siva

दरअसल एक समय की बात है भगवान शिव और माता पार्वती समुद्र किनारे घूम रहे थे। तभी भगवान शिव के मन में माता पार्वती के साथ शरारत करने की सूझी। समुद्र किनारे घूमते घूमते अचानक भगवान शिव अदृश्य हो जाते हैं और माता पार्वती भगवान शिव को अपने आसपास न पाकर परेशान हो जाती हैं।

माता पार्वती भगवान शिव की प्रतीक्षा क्यों कर रहीं थी?

माता पार्वती (goddess parvati) काफी समय तक भगवान शिव की प्रतीक्षा करतीं हैं और इंतजार करते करते शाम हो जाती है और भगवान शिव के न लौटने पर अब माता पार्वती व्याकुल हो जाती है। दरअसल जिस दिन भगवान शिव माता पार्वती को परेशान करने के लिए गायब हुए थे उस दिन तीज की तिथि थी। अब भगवान शिव जब रात तक भी नही लौटे तो माता पार्वती ने समुद्र के तट पर ही रेत का शिवलिंग बनाया और कुछ पूजा सामग्री के साथ पूजा करना शुरू किया।

पूरी रात माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए निर्जला और निराहार व्रत रखा। ये सब भगवान अदृश्य होकर देख रहे थे, मगर माता पार्वती के साथ ठिठोली करने के चलते वे माता पार्वती के सामने नही आए।

माता पार्वती (goddess parvati) ने गाय के समक्ष बिना भगवान शिव की उपस्थिति के पूजा सामग्री क्यों की विसर्जित?

रेत के शिवलिंग, माता पार्वती ने बनाए रेत के शिवलिंग

अब सुबह होने पर भी जब भगवान शिव माता पार्वती के समक्ष नही आए तो माता पार्वती ने रेत के शिवलिंग और पूजा की सामग्री को समुद्र में विसर्जित कर दिया और फिर थोड़ी ही देर बाद भगवान शिव भी माता पार्वती के समक्ष आ गए।

अब भगवान शिव माता पार्वती (goddess parvati) से ठिठोली करते हुए बोलने लगे, “हे प्रिय कल तीज की तिथि थी, क्या तुमने मेरी पूजा की?” जवाब में माता पार्वती कहतीं है, “हे प्रभु मैने आपका बहुत इंतज़ार किया और जब आप नही आए तो मैने रेत का शिवलिंग बनाकर उसी की पूजा की” ये सुनने के बाद भगवान शिव कहते हैं कि मुझे आसपास कहीं पूजा की सामग्री तो दिखाई नही दे रही, तो माता पार्वती कहतीं हैं कि आपके आने से कुछ ही क्षण पहले मैनें शिवलिंग और पूजा की सामग्री विसर्जित कर दी।

अब भगवान शिव को पूरी घटना का ज्ञात तो था मगर वो फिर भी माता पार्वती से ठिठोली करते हुए कहते हैं, “मै कैसे मान लूं प्रिय कि आपने मेरी पूजा की है, क्या आपके पास इसका कोई प्रमाण है या फिर कोई साक्ष्य हो।”

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माता पार्वती ने गाय से किस वाक्य का साक्षी बनने को कहा था?

अब माता पार्वती (goddess parvati) को ये ज्ञात हो जाता है कि भगवान शिव उनके साथ मज़ाक कर रहें हैं लेकिन वो भी उनके मज़ाक में उनका साथ देते हुए पास में खड़ी गाय को अपना साक्षी बताती हैं। माता पार्वती ने गाय माता से पूछा, “हे गाय माता भगवान शिव को बताइए कि क्या मैने तीज की तिथि में भगवान शिव की पूजा की?” जवाब में गाय माता अपना सिर हिलाकर माना करती हैं।

माता पार्वती ने गाय को जूठन खाने का श्राप क्यों दिया था?

गाय, Cow, गाय ने दी झूठी गवाही, माता पार्वती ने गाय को दिया श्राप

इस वाक्य के बाद माता पार्वती (goddess parvati) भगवान शिव के सामने बिना किसी कारण जूठी साबित हो जाती हैं और क्रोधित होकर माता पार्वती गाय माता को श्राप देती हैं कि भले ही तू दिव्य जन्मा है और संसार के कल्याण के लिए तेरा जन्म हुआ हो लेकिन तेरे मुख से झूठी वाणी निकलने के कराण मै तुझे श्राप देती हूं कि इसी मुख से तूझे जूठन खाना पड़ेगा, रसोई की पहली रोटी के साथ साथ तेरा आहार जूठन भी होगा।

जब माता पार्वती (goddess parvati) ने गाय माता को ये श्राप दिया उसी के बाद से माता के रूप में पूजे जाने के बाद भी, अच्छा आहार मिलने के बाद भी गाय माता जूठन ही खाती है।

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