पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी चौथी पुण्यतिथि पर देश भर में उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है। आज से 4 साल पहले वाजपेयी जी का निधन AIIMS में हो गया था। आज मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके समाधि स्थल “सदैव अटल “पहुँच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देंने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित मोदी कैबिनेट के सभी सदस्य पहुंचे।

वाजपेयी जी तीन बार बने देश के प्रधानमंत्री
वाजपेयी जी देश के तीन बार प्रधानमंत्री बने, पहली बार -1996 में सिर्फ 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 1998 में 13 महीनों के लिए। उसके बाद पहली बार 1999 में उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पूरे 5 वर्ष पूरे किये।
आडवाणी के साथ मिलकर रखी बीजेपी की नींव
अटल बिहारी बाजपेयी ने ही लाल कृष्ण अडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव 1980 में रखी। इसके बाद ही बीजेपी का एक राजनीतिक पार्टी के रूप में सफर शुरू हो गया। बीजेपी को खड़ा करने में बाजपेयी जी और अडवाणी जी का मुख्य योगदान है।
विचारधारा और सिद्धांत के पक्के थे वाजपेयी जी
अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने विचारों और सिद्धांतों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने सत्ता के लिए कभी कोई गलत समझौता नहीं किया और इसका प्रमाण है उनकी सरकार का 1वोट से संसद में गिर जाना। वाजपेयी जी की सरकार गिर गयी लेकिन उन्होंने जोड़ तोड़ की राजनीति और गलत समझौता नहीं किया। इसी से जुड़ा उनका एक भाषण जो उन्होंने 1999 में संसद में दिया था, आज भी याद किया जाता है। वाजपेयी जी प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे।
संसद में दिया उनका अमर भाषण
वाजपेयी जी 1999 में संसद से अपनी सरकार गिरने पर, इस्तीफा देने के पहले, अपने उस अमर भाषण के लिए याद किये जाते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था –“सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी और जाएंगी। पार्टियां बनेगी -बिगड़ेंगी, मगर ये देश रहना चाहिए, देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए। “