/ Aug 05, 2025
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FLOOD NEWS TODAY: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल भारत में मानसून ने बीते 12 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की है। इस असमान्य वर्षा के चलते उत्तर भारत के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और बिहार में गंभीर बाढ़ की स्थिति बन गई है। नदियों के जलस्तर में खतरनाक बढ़ोतरी हुई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में प्रयागराज शहर सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक बनकर उभरा है, जहां गंगा नदी का जलस्तर 86 मीटर को पार कर गया है। इसके चलते नमो घाट सहित तमाम निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदेश में 84,000 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और 400 से अधिक गांवों में पानी भर गया है। राज्य सरकार ने 900 राहत शिविरों की व्यवस्था की है, जिनमें 11,000 से ज्यादा लोगों को अस्थायी रूप से शरण दी गई है।
उत्तराखंड में हालात और भी गंभीर हैं। रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी पूरे उफान पर है, जिसके कारण नदी किनारे स्थित मंदिर पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। वहीं हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने की घटनाओं के चलते कई इलाकों में तबाही मची है। वहां नदियों का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे मकानों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। राजधानी दिल्ली में यमुना नदी चेतावनी स्तर के करीब बह रही है, और आईटीओ बैराज के आसपास जलभराव की स्थिति बनी हुई है। मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर के लिए आज भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
मध्य प्रदेश और बिहार की स्थिति भी चिंता का विषय बन चुकी है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी और सागर जिलों में चंबल और अन्य नदियों में बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि 2,900 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और बचाव कार्य के लिए सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है। बिहार में कोसी, गंडक और बागमती जैसी प्रमुख नदियों में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान भारी वर्षा की चेतावनी दी है।
आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में बताया है कि अगस्त और सितंबर महीने में भी देश के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना बनी हुई है, खासकर उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में। हालांकि पूर्वोत्तर भारत में वर्षा सामान्य से कम रह सकती है। 1 जून से 31 जुलाई तक देशभर में 474.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य 445.8 मिमी से 6 प्रतिशत अधिक है। खरीफ फसलों के लिहाज से यह वर्षा किसानों के लिए उम्मीद की किरण साबित हो सकती है। अधिक वर्षा से खेतों में नमी बनी हुई है जो फसलों के लिए लाभकारी है, लेकिन बाढ़ और जलभराव से कई क्षेत्रों में फसलों को नुकसान भी पहुंचा है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में SDRF और NDRF की टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हुई हैं। केंद्र और राज्य सरकारें प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने और आवश्यक ढांचागत सुधार कार्यों में जुटी हैं।आईएमडी ने नागरिकों से अपील की है कि वे नदियों के किनारे या निचले इलाकों की ओर न जाएं। आने वाले 48 घंटों में उत्तर भारत में लगातार बारिश की संभावना है, जिससे प्रशासन ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और आपदा प्रबंधन टीमें सतर्क मोड में हैं।
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