/ Oct 11, 2024

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विजयादशमी 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

DUSSEHRA 2024: दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन दो महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी थीं। पहली, भगवान राम ने रावण का वध किया और दूसरी, मां दुर्गा ने महिषासुर नामक दानव का अंत किया। इन दोनों घटनाओं ने सत्य और धर्म की जीत का संदेश दिया, इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “विजय प्राप्त करने का दिन।”

DUSSEHRA 2024
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दशहरा का पौराणिक और धार्मिक महत्व

इस दिन भगवान श्रीराम ने दस सिर वाले राक्षस रावण का वध करके अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। रावण, जो कि लंका का शक्तिशाली राजा था, ने माता सीता का अपहरण किया था। तब भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को मुक्त कराने के लिए रावण से युद्ध किया और अंततः विजय प्राप्त की। यह विजय केवल रावण के अंत की नहीं थी, बल्कि यह सत्य और न्याय की जीत का प्रतीक बनी। इसी वजह से दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। रामलीला के रूप में इस महाकाव्य की घटनाओं का मंचन विभिन्न स्थानों पर होता है, और इसके अंत में रावण दहन किया जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है।

DUSSEHRA 2024
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दूसरी ओर, मां दुर्गा की कथा भी दशहरा के महत्व को दर्शाती है। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर नामक राक्षस से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध किया। इस विजय के कारण मां दुर्गा को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन की पूजा शक्ति की देवी के रूप में की जाती है। इसलिए, दशहरे का त्योहार शक्ति और साहस की विजय का प्रतीक है।

हिंदू पंचांग और DUSSEHRA 2024 की तिथि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, और इस दिन लोग अपने जीवन में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं। 2024 में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पूरे देश में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

DUSSEHRA 2024
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दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। शमी का वृक्ष हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और इसकी पूजा से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अज्ञातवास के समय अपने शस्त्र शमी के पेड़ के नीचे छिपाए थे और इसी वृक्ष के कारण उन्हें महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी। इसलिए दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग इस वृक्ष के नीचे दीपक जलाते हैं, पत्तों को घरवालों में बांटते हैं, जिससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

DUSSEHRA 2024
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दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

दशहरे के दिन देवी अपराजिता की पूजा विशेष रूप से विजय मुहूर्त में की जाती है। 2024 में विजय मुहूर्त दोपहर 2:03 बजे से 2:49 बजे तक रहेगा। इस समय में देवी अपराजिता की पूजा करने से व्यक्ति को 10 दिशाओं में विजय प्राप्त होती है और हर शुभ कार्य में सफलता मिलती है। इस समय शस्त्र पूजा भी की जाती है, जो योद्धाओं और साहस का प्रतीक है। शस्त्रों की पूजा करने से साहस और शक्ति का संचार होता है।

DUSSEHRA 2024
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पूजा विधि और मंत्र

DUSSEHRA 2024 की पूजा विधि में सबसे पहले प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें। विजय मुहूर्त में देवी अपराजिता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। गंगाजल से अभिषेक करके देवी को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और गंध अर्पित करें। पूजा के दौरान “ॐ अपराजितायै नम:” मंत्र का उच्चारण करें। इस मंत्र का जाप करने से मन की शांति प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा, अपराजिता स्तोत्र का पाठ भी किया जा सकता है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है।

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