वर्ष 2020 में कोरोना ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को क्यों गाय-भैंस चराने की दी गई सलाह

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रुद्रप्रयाग (संवाददाता- नरेश भट्ट): कोरोना महामारी में दो साल तक ड्यूटी देने वाले पैरा मेडिकल स्टॉफ को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने सरकार से पुनः नौकरी पर बहाल करने की मांग की है। साथ ही जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने पर उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है।

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बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मई 2020 में कोरोना लहर को देखते हुए पैरा मेडिकल स्टॉफ की भर्ती की गई, जिसमें जिले के 42 बेरोजगारों को संविदा के तौर पर रोजगार दिया गया। इन स्वास्थ्य कर्मियों से रात-दिन काम करवाया गया। यहां तक कि जब हर व्यक्ति को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई, वहीं इन स्वास्थ्य कर्मचारियों को मरीजों की सेवा में तैनात किया गया। अपनी जान की परवाह किये बगैर कर्मचारियों ने पूरी तन्मयता के साथ कार्य किया। यहां तक कि सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलकर इन्होंने अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया, लेकिन आज इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मचारियों में आक्रोश बना हुआ है।

कोरोना ड्यूटी में तैनात कर्मचारी कोटेश्वर स्थित माधवाश्रम अस्पताल में धरने पर बैठे हुए हैं और सरकार से पुनः बहाली की मांग कर रहे हैं। स्टाफ नर्स अनुभी एवं मनोज नेगी ने कहा कि कोरोना महामारी के दो सालों तक उन्होंने मरीजों की रात-दिन सेवा की। अपनी जान की परवाह किये बगैर मरीजों की सेवा में लगे रहे। जब सब लोग घर में थे, तब उन्होंने घर से बाहर निकलकर सरकार का साथ देते हुए काम किया। उन्होंने कहा कि घर में उन्हें अलग कमरे में रखा गया। यहां तक फैमली के हर सदस्य से वे दूर रहे। वेतन भी समय पर नहीं दिया गया। समय पर मरीजों का इलाज किया और आज जब सरकार का मतलब निकल गया तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि वे कोर्स करके आये हैं और जिस कोर्स को उन्होंने किया है, उसी के अनुसार ही रोजगार करना चाहते हैं, मगर कुछ अधिकारी उनसे कह रहे हैं कि वे इतने कम मेहनताना में कैसे काम कर पायेंगे और अब उन्हें गाय-भैंस चराने की सलाह दी जा रही है।

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स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अधिकारियों के इस रवैये से मन में काफी निराशा है। कोरोना के समय उन्होंने भूखे और प्यासे रहते हुए कार्य किया। यहां तक कि टिन शेड में रहकर रात काटी और अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर गाय-भैंस पालने की बात कही जा रही है। इससे कर्मचारियों में आक्रोश पनप गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में अच्छा कार्य करने पर कोरोना वायरस कहकर सम्मान किया गया। साथ ही फूल-मालाओं से स्वागत किया गया और अब काम निकलने के बाद बाहर का रास्ता दिखाया जाना, उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की काफी कमी बनी है। वे कम मेहनताना में भी कार्य करने के लिए तैयार है। ऐसे में सरकार को उनकी समस्या को समझते हुए पुनः पैरा मेडिकल स्टॉफ को नियुक्ति दे देनी चाहिए अन्यथा कर्मियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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