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क्यों इस मंदिर के दर्शन किए बिना अधूरी मानी जाती है अमरनाथ यात्रा?

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Buddha Amarnath Temple: क्यों पड़ा इस मंदिर का नाम बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा मंदिर?

Buddha Amarnath Temple: देश विदेश से कई लोग अमरनाथ यात्रा पर जाते है और कुछ अमरनाथ बाबा के दर्शन करने की चाहत रखते हैं। मगर क्या आपको मालूम है कि यदी आप अमरनाथ यात्रा करने के बाद बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा (Buddha Amarnath Temple) के दर्शन नहीं करते हैं तो आपकी अमरनाथ यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती।

बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा (Buddha Amarnath Temple) जम्मू संभाग के पुंछ जिले में स्थित है। इस मंदिर की उतनी ही मान्यता है जितनी की कश्मीर में बसे अमरनाथ बाबा की है। यदी कोई व्यक्ति अमरनाथ की कठिन यात्रा करने में असमर्थ होता है तो वो बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा (Buddha Amarnath Temple) के दर्शन करके भी भगवान शिव को अपनी भक्ति अर्पित कर सकता है।

ये मंदिर (Buddha Amarnath Temple) पुंछ जिले के मंडी तहसील के लोरन घाटी के राजपुरा गांव की पुलस्ती नदी के किनारे स्थित है, जो जम्मू से करीबन 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से चट्टानों से बना है और बाकी शिवलिंगों से बेहद अलग है।

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इस मंदिर (Buddha Amarnath Temple) को लेकर कई कहानियां काफी प्रचलित हैं। एक कहानी के मुताबिक भगवान भोले द्वारा सुनाई जाने वाली अमर कथा की शुरुआत इसी जगह से हुई थी।

वहीं बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा (Buddha Amarnath Temple) के यहां बसने को लेकर एक और कहानी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि पुलत्स्य ऋषि प्रत्येक वर्ष अमरनाथ यात्रा के लिए कश्मीर जाते थे लेकिन एक वर्ष ऋषि अमरनाथ यात्रा पर न जा सके जिसके बाद वह उदास रहने लगे।

अपने भक्त को उदास देख अमरनाथ बाबा ने पुलस्ती नदी के किनारे बसे राजपुरा गांव में ही ऋषि पुलत्स्य को दर्शन दिए जिसके बाद इसी स्थान पर बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा विराजमान हो गए। यही कारण है कि जिस भी भक्त को अमरनाथ बाबा के दर्शन करने होते हैं और किसी कारण वश वह अमरनाथ की कठिन यात्रा को करने में असफल रहते हैं तो वह बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा के दर्शन कर अपनी भक्ती बाबा अमरनाथ को अर्पित कर सकता है।

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वहीं बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा के यहां बसने को लेकर एक और कहानी काफी प्रचलित है। इस कहानी के मुताबिक लोरन घाटी की एक महारानी हुआ करती थी महारानी चंद्रिका। महारानी चंद्रिका हर वर्ष बाबा अमरनाथ के दर्शन करने कशमीर जाती थी लेकिन एक बार वह किसी कारण वश बाबा अमरनाथ के दर्शन करने नहीं जा पाई, जिसके बाद उन्हें इस बात का काफी दुख होने लगा।

एक दिन महारानी उदास बैठीं थी कि तभी वहां एक बूढ़ा साधू प्रकट हो गया। उस बूढ़े साधु ने महारानी से कहा कि तुम निश्चित जगह पर जाओ और वहां पूजा अर्चना करो, ऐसा करने से तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण होगी। महारानी ने बिलकुल वैसा ही किया जैसा कि उस बूढ़े साधु ने बताया था। पूजा संपन्न होने के बाद अचानक वो बूढ़ा साधु धरती में ही लीन हो गया और काफी खोज- बीन करने के बाद भी वो बूढ़ा साधु नहीं मिला जिसके बाद महारानी को ये समझ आ गया कि वह बूढ़ा साधु अमरनाथ बाबा ही थे जिन्होंने उन्हें दर्शन दिए।

इस वाक्य के बाद महारानी ने उस जगह पर खुदाई कराई जहां धरती से एक श्वेत चट्टान प्रकट हुई, क्योंकि अमरनाथ बाबा बूढ़े साधु के रूप में आए थे और धरती से चट्टान के रूप में प्रकट हुए इसलिए इस मंदिर का नाम बुड्ढा अमरनाथ चट्टानी बाबा रखा गया, जहां आज सैकड़ों की तादाद में भक्त दर्शन करने आते हैं।

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