/ Nov 03, 2025

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ED का मनी लॉन्ड्रिंग केस में अनिल अंबानी पर बड़ा एक्शन, ₹3000 करोड़ की प्रॉपर्टी हुई जब्त

ANIL AMBANI: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस ग्रुप की कुल 40 संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है, जिनकी अनुमानित कीमत ₹3,084 करोड़ बताई जा रही है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 5(1) के तहत 31 अक्टूबर 2025 को की गई। जब्त संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल स्थित अनिल अंबानी का आलीशान आवास भी शामिल है, जो 17 मंजिला इमारत है और इसमें हेलीपैड, जिम, लाउंज, स्विमिंग पूल और लग्जरी कारों के गैरेज जैसी सुविधाएं हैं।

ANIL AMBANI
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ईडी की यह कार्रवाई रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से जुड़े फंड डायवर्जन और मनी लॉन्ड्रिंग केस में की गई है। एजेंसी के अनुसार, ये संपत्तियां दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और पूर्वी गोदावरी तक फैली हुई हैं। इनमें ऑफिस प्रिमाइसेस, रेसिडेंशियल यूनिट्स और लैंड पार्सल्स शामिल हैं। ईडी ने बताया कि दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर स्थित रिलायंस सेंटर और मुंबई का पाली हिल वाला आवास प्रमुख रूप से जब्त की गई संपत्तियों में हैं। पाली हिल की संपत्ति करीब 16,000 वर्ग फुट में फैली हुई है, जिसमें हेलीपैड और लग्जरी कार डिस्प्ले लाउंज शामिल है।

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ANIL AMBANI मनी लॉन्ड्रिंग केस का बैकग्राउंड

यह मामला 2017 से 2019 के बीच के वित्तीय लेनदेन से जुड़ा है, जब यस बैंक ने RHFL में ₹2,965 करोड़ और RCFL में ₹2,045 करोड़ का निवेश किया था। दिसंबर 2019 तक यह निवेश नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) घोषित हो गया, जिसमें RHFL के ₹1,353.50 करोड़ और RCFL के ₹1,984 करोड़ बकाया रह गए। ईडी की जांच में सामने आया कि रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड (अब बदला हुआ नाम) ने SEBI के कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट नियमों का उल्लंघन करते हुए जनता के पैसे को अप्रत्यक्ष रूप से यस बैंक के माध्यम से रिलायंस ग्रुप कंपनियों तक पहुंचाया। आगे ये फंड्स RHFL और RCFL के जरिए समूह की अन्य इकाइयों को लोन के रूप में दिए गए।

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जांच में चौंकाने वाले खुलासे

ईडी की प्रारंभिक जांच में कई गंभीर वित्तीय अनियमितताएं और कंट्रोल फेल्योर पाए गए। कई लोन एक ही दिन में एप्लीकेशन, सैंक्शन, एग्रीमेंट और डिस्बर्सल के साथ जारी किए गए, जिनमें सुरक्षा व्यवस्था अधूरी थी। कई उधारकर्ताओं के पास वास्तविक ऑपरेशन नहीं थे, और फंड्स का उपयोग स्वीकृति शर्तों से मेल नहीं खाता था। एजेंसी ने इन्हें जानबूझकर की गई लापरवाहियां बताया है। इसके अलावा, रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) से जुड़े मामलों में भी ₹13,600 करोड़ से अधिक के फंड डायवर्जन की जांच चल रही है। इसमें से ₹12,600 करोड़ कनेक्टेड पार्टियों को ट्रांसफर किए गए थे, जबकि ₹1,800 करोड़ म्यूचुअल फंड्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स में निवेश कर बाद में लिक्विडेट कर दिए गए।

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