Amrapali : सबसे खूबसूरत महिला
माना जाता है कि वैशाली नामक एक गांव में एक दंपत्ति को एक आम के पेड़ के नीचे बहुत ही खूबसूरत बच्ची मिली थी,तो उस दंपति ने बच्ची को अपने साथ रख लिया। क्योंकि ये बच्ची आम के पेड़ के नीचे मिली थी इसिलिए इसका नाम आम्रपाली रखा गया था।
वो बेहद खूबसूरत थी। माना जाता है कि Amrapali जब किशोराअवस्था में पहुंची तो उसके चर्चे पूरे नगर में फैलने लगे। लोग उसकी एक झलक पाने के लिए तरसा करते। कई मंत्रियों राजाओँ और नगर के वासियों से Amrapali के लिए रिश्ते आने लगे और जब वैशाली के राजा को आम्रपाली के बारे में पता चला तो उन्हें लगा कि आम्रपाली किसी एक से विवाह करने लगेगी तो बाकि लोग नाराज हो जाएंगे या फिर आपस में लड़ने लगेंगे तो इससे नगर में अंशाति फैल सकती है.
Amrapali कैसे नगरवधू से भिक्षुणी बनी
उन्होंने इस डर से Amrapali को नगर वधू यानी की वैश्या घोषित कर दिया। नगर वधू बनने के बाद राजा ने उसे महल सैनिक और कई सारी दासियां भी दी। और इसके साथ ही उसे लोगों से शारीरीक संबंध बनाने के लिए चयन का अधिकार भी दिया। इसके साथ ही वो शाही परिवार में निर्तकी भी बन गई। Amrapali इसी तरीके से आराम से अपना जीवन यापन करने लगी।
कुछ सालों बाद भगवान बुद्ध वैशाली में भ्रमण के लिए निकले थे, तो जब आम्रपाली को इस बात की सूचना मिली तो आम्रपाली 16 श्रृंगार कर अपनी दासियों के साथ भगवान बुद्ध को मिलने पहुंची।
Amrapali इतनी खूबसूरत थी कि इनको देखकर भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों से यहां तक कह दिया था कि तुम लोग अपनी आखें बंद कर लो।
कहा जाता है कि इस दौरान आम्रपाली का दिल एक बौद्ध भिक्षु पर आ गया। जब भिक्षु भिक्षा मांगने आम्रपाली के महल में पहुंचा तो आम्रपाली खुद को ना रोक पाई उसने भिक्षु को एक महीने के लिए महल में रुकने के लिए कहा जिस पर भिक्षु ने कहा कि वो बिना गौतम बुद्ध के ऐसे नहीं रुक सकता। यहां रुकने का फैसला उनके भगवान ही करेंगे।
इस बात को सुनकर आम्रपाली सीधे भगवान गौतम बुद्ध के पास पहुंची और भगवान बुद्ध से निवेदन करने लगी। भगनाव बुद्ध को अपने भिक्षु पर पूरा भरोसा था इसिलिए वो भिक्षु आम्रपाली के महल में रहने लगा।
Amrapali को लग रहा था कि वो अपने सौंदर्य से भिक्षु को रिझाने में सफल हो जाएगी लेकिन भिक्षु पर आम्रपाली की खूबसूरती का कोई असर नहीं देखने को मिला। उसके बाद जब भिक्षु भगवान बुद्ध के पास पहुंचा तो आम्रपाली भी वहां पहुंच गई और बोली हे भगवान में आपके सिखाए गए धर्म के आगे नतमष्तक हूं मेंरे इतने रिझाने के बाद भी भिक्षु मेरी तरफ आकर्षित नहीं हुआ।
उसने कहा कि में समझ चुकी हूं बाहरी सुंदरता का कोई मौल नहीं है और अब में भी आपकी शरण में आना चाहती हूं। और तभी से आम्रपाली एक बौध भिक्षुणी बन गई।
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