/ Dec 19, 2025
All rights reserved with Masterstroke Media Private Limited.
RED SANDERS CONSERVATION: राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने आंध्र प्रदेश वन विभाग के लिए एक बड़ी वित्तीय मदद जारी की है। प्राधिकरण ने ‘एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग’ यानी एबीएस तंत्र के तहत 14.88 करोड़ रुपये (लगभग 1.65 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की राशि जारी की है। यह फंड विशेष रूप से दुनिया भर में मशहूर और कीमती रक्त चंदन के संरक्षण, पुनर्जनन, अनुसंधान और विकास कार्यों के लिए दिया गया है। इस राशि का उपयोग रक्त चंदन को बचाने, उसके बारे में जागरूकता फैलाने में किया जाएगा। यह राशि 29 ‘फॉर्म-I’ आवेदनों से प्राप्त लाभ-साझाकरण योगदान के रूप में आई है।

एनबीए द्वारा जारी की गई इस ताजा किस्त के साथ ही भारत में कुल एबीएस वितरण का आंकड़ा 143 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है। इसमें से केवल आंध्र प्रदेश को रक्त चंदन के संरक्षण के लिए अब तक 104 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा चुकी है। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों को भी 15 करोड़ रुपये से ज्यादा जारी किए गए हैं। यह पैसा राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा जब्त की गई 1,115 टन रक्त चंदन की लकड़ी की नीलामी से इकट्ठा हुआ है। इस लकड़ी की नीलामी स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एमएमटीसी लिमिटेड और पीईसी लिमिटेड जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई थी।

रक्त चंदन अपनी गहरी लाल लकड़ी के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट के कुछ सीमित इलाकों में ही पाया जाता है। इनमें अनंतपुर, चित्तूर, कडपा, प्रकाशम और कुरनूल जिले शामिल हैं। चूंकि यह प्रजाति सिर्फ इन्ही इलाकों तक सीमित है, इसलिए इसका संरक्षण बेहद जरूरी है। एनबीए इस फंड के जरिए अवैध व्यापार को रोकने और जैव विविधता प्रशासन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अनमोल धरोहर को बचाया जा सके।

इस फंड का इस्तेमाल करके सरकारी अनुसंधान संस्थानों ने कुछ बेहद दिलचस्प और इनोवेटिव प्रोडक्ट तैयार किए हैं। कोयंबटूर स्थित आईसीएफआरई-वन आनुवंशिकी और वृक्ष प्रजनन संस्थान (ICFRE-IFGTB) ने लाल चंदन की छाल और हार्टवुड से साबुन, क्रीम, लिप केयर प्रोडक्ट और वुड कोटिंग्स विकसित की हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि ‘रायलसीमा आरएस सोप’ (Royalseema RS Soap®) को ट्रेडमार्क भी मिल गया है। इसके अलावा ‘रॉयल रेड’ लिपस्टिक ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानकों को पूरा किया है। यह दिखाता है कि कैसे वैज्ञानिक शोध को आम जीवन में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में बदला जा सकता है।

इस एबीएस फंड की मदद से आंध्र प्रदेश के वन प्रभागों में व्यापक मैदानी सर्वेक्षण भी किए गए हैं। वैज्ञानिकों ने 1,513 ऐसे आनुवंशिक संसाधनों का दस्तावेजीकरण किया है जो जीयो-रेफरेंस गुणों से लैस हैं। साथ ही, 15,000 से अधिक पेड़ों की विविधता और प्रजनन व्यवहार का आकलन किया गया है। भविष्य में इस प्रजाति को सुरक्षित रखने के लिए एक ‘नेशनल रेड सैंडर्स फील्ड जीन बैंक’ स्थापित करने की कोशिशें चल रही हैं। इसके लिए बेहतर किस्म के बीजों को इकट्ठा किया गया है और टिश्यू कल्चर जैसी तकनीकों को मजबूत किया गया है ताकि लाल चंदन के पेड़ों को उगाना आसान हो सके।

संसद का शीतकालीन सत्र संपन्न, कई विधेयक हुए पारित, दोनों सदनों में इतना हुआ काम
देश दुनिया से जुड़ी हर खबर और जानकारी के लिए क्लिक करें-देवभूमि न्यूज
All Rights Reserved with Masterstroke Media Private Limited.