/ Nov 28, 2025
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HAPUD FAKE DEATH SCAM: हापुड़ के ब्रजघाट श्मशान घाट पर गुरुवार को बीमा धोखाधड़ी की एक ऐसी सनसनीखेज साजिश का पर्दाफाश हुआ। दिल्ली के दो कपड़ा व्यापारियों ने कर्ज से छुटकारा पाने के लिए अपने घरेलू नौकर की नकली मौत की कहानी गढ़ी और उसके नाम पर 50 लाख रुपये का बीमा क्लेम हासिल करने की योजना बनाई। इस खतरनाक योजना के तहत उन्होंने प्लास्टिक की एक डमी को शव बनाकर कफन में लपेटा और अंतिम संस्कार कराने के लिए ब्रजघाट पहुंचे।
दोपहर करीब 2 बजे जब दोनों युवक कफन में लिपटी डमी को चिता पर रखने की तैयारी कर रहे थे, तभी श्मशान घाट के कर्मचारी और नगरपालिका कर्मियों ने रस्म के अनुसार कफन हटाया। अंदर प्लास्टिक का पुतला देखकर हर कोई हैरान रह गया। एक पल को तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि कोई इतनी बारीकी से नौकर की फर्जी मौत दिखाकर बीमा राशि हड़पने की कोशिश कर सकता है। जैसे ही पुतला दिखाई दिया, दोनों व्यापारी घबरा गए और वहां से भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन मौजूद लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और तत्काल पुलिस को सूचना दी।

पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों आरोपियों दिल्ली के करोल बाग निवासी कपड़ा व्यापारी कमल सोमानी और उसका सहयोगी आशीष खुराना को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि कमल पर करीब 50-55 लाख रुपये का कर्ज था और लगातार बढ़ते घाटे की वजह से वह अवसाद में था। पैसे की व्यवस्था न होने पर उसने अपने नौकर अंशुल कुमार के नाम पर 50 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी कराई और योजना बनाई कि उसे मृत घोषित कर बीमा राशि हासिल की जाए। इसके लिए वह एक साल पहले अंशुल के पहचान पत्र, फोटो और हस्ताक्षर हासिल कर चुका था और पॉलिसी की प्रीमियम भी खुद ही भरता रहा ताकि योजना पूरी तरह सक्रिय रहे।
योजना के अगले चरण में उसने 21 और 22 नवंबर को अपने परिचितों के बीच यह सूचना फैलाई कि अंशुल की तबीयत बेहद खराब है और उसे दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 26 नवंबर की रात उसने अफवाह फैलाई कि अस्पताल ने अंशुल को मृत घोषित कर दिया है और ताबूत उसे सौंप दिया गया है। आरोपियों ने उसी आधार पर ब्रजघाट में अंतिम संस्कार की व्यवस्था की, लेकिन कफन खुलने पर पूरी साजिश उजागर हो गई। पुलिस जांच ने पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया जब तलाशी के दौरान आरोपियों की कार की डिग्गी से तीन और प्लास्टिक डमी बरामद हुईं।(HAPUD FAKE DEATH SCAM)

HAPUD FAKE DEATH SCAM की पूछताछ में दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे पहले श्मशान से रसीद प्राप्त करते, फिर उस आधार पर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाते और उसके बाद बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये का क्लेम हासिल करते। अधिकारियों के अनुसार, नौकर अंशुल कुमार जीवित है और घटनाक्रम के समय छुट्टी पर अपने पैतृक गांव गया हुआ था। उसे इस साजिश की कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस ने उसे सुरक्षित रखा है और उसके बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

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