/ Apr 18, 2025
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UTTARAKHAND CYBER COMMANDOS: उत्तराखंड पुलिस को साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। राज्य के दो पुलिसकर्मी – अपर उप निरीक्षक विनोद बिष्ट और आरक्षी सुधीष खत्री – आईआईटी कानपुर से छह महीने का विशेष साइबर कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त कर उत्तराखंड के पहले साइबर कमांडो बन गए हैं। यह प्रशिक्षण 7 अक्टूबर 2024 से 4 अप्रैल 2025 तक चला, जिसका समापन आईआईटी कानपुर के नोएडा स्थित आउटरीच सेंटर में हुआ। प्रशिक्षण में दोनों अधिकारियों को साइबर सुरक्षा, डिजिटल फॉरेंसिक, थ्रेट इंटेलिजेंस, क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टोग्राफी के साथ नेटवर्किंग के मूल सिद्धांतों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों की गहन जानकारी दी गई।
उत्तराखंड STF के अनुसार साइबर अपराधों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाने के उद्देश्य से यह पहल लगातार आगे बढ़ रही है। इस दिशा में पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के मार्गदर्शन में, अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था)वी. मुरुगेसन और पुलिस महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) नीलेश आनंद भरणे द्वारा लगातार समीक्षा और निगरानी की जा रही है। साथ ही उन्नत साइबर प्रशिक्षण के लिए कर्मियों को लगातार अवसर दिए जा रहे हैं।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड नवनीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गृह मंत्रालय भारत सरकार के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा ‘साइबर कमांडो की विशेष शाखा’ की स्थापना की जा रही है।
इस योजना के प्रथम चरण में उत्तराखंड से विनोद बिष्ट और सुधीष खत्री ने साइबर कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब बहुत जल्द उप निरीक्षक आशीष गुसांई और उप निरीक्षक राजेश ध्यानी भी एनएफएसयू (नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी), दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होंगे। प्रशिक्षण के दूसरे चरण में उत्तराखंड से चयनित 72 अभ्यर्थियों को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी और एनएफएसयू में क्रमवार गहन व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। उत्तराखंड राज्य इस चयन प्रक्रिया में पूरे देश में तीसरे स्थान पर रहा है।
खास बात यह रही कि राज्य से चयनित शीर्ष तीन पुलिसकर्मियों ने ऑल इंडिया रैंकिंग में दूसरा, छठा और दसवां स्थान हासिल किया, जो राज्य की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को दर्शाता है। प्रशिक्षण प्राप्त साइबर कमांडो अपने मूल संगठन में कार्यरत रहेंगे और उनसे डिजिटल फॉरेंसिक, साइबर घटनाओं की जांच, और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) संरचना की सुरक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता के अनुरूप जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। यह पहल राज्य की साइबर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और डिजिटल अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है।
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