/ Mar 04, 2025
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SEBI MADHABI PURI BUCH: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और बीएसई के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। विशेष अदालत ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ बुच और अन्य अधिकारियों ने हाईकोर्ट का रुख किया था। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिजे की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि विशेष अदालत ने बिना गहराई से जांच किए और संबंधित पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना यह आदेश जारी किया है, इसलिए इस पर रोक लगाई जाती है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया की ओर से दलील दी कि जिस कंपनी की लिस्टिंग को लेकर आरोप लगाए गए हैं, वह 1994 में हुई थी, जबकि मौजूदा अधिकारी उस समय सेबी या बीएसई में पदस्थ नहीं थे। शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव के बारे में तुषार मेहता ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही उन्हें “फर्जी याचिकाएं” दायर करने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा चुका है और उनके खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज करने का निर्देश भी दिया गया था।
बीएसई अधिकारी प्रमोद अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता ने जानबूझकर अदालत को गुमराह किया और झूठे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सेबी और बीएसई के अधिकारी देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण पदों पर हैं, और उन पर लगाए गए ये आरोप सीधे देश की वित्तीय प्रणाली को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप पासबोला ने माधबी पुरी बुच का बचाव करते हुए कहा कि शिकायत में सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट (2002 के संशोधन) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जबकि संबंधित कंपनी 1994 में लिस्ट हुई थी।
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