खनन माफियाओं ने रोक दिया मंदाकिनी नदी का प्रवाह, केदारघाटी के दो स्थानों पर बिना अनुमति के बना दी सड़क
रुद्रप्रयाग (संवाददाता- नरेश भट्ट): जनपद के दो स्थानों पर खनन कारोबारियों ने बिना अनुमति के मंदाकिनी नदी पर सड़क बना दी है। इसके लिए उन्होंने बोल्डर व मिट्टी भरकर नदी के प्रवाह को भी रोक दिया है। यह सबकुछ होने के बाद भी प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है। मंदाकिनी नदी का जल प्रवाह रोके जाने से पर्यावरणविद भी खासे चिंतित हैं। पहले ही एलएण्डटी जल विद्युत परियोजना के कारण मंदाकिनी नदी सूख चुकी है और ऊपर से खनन कारोबारियों ने एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर नदी का प्रवाह रोक दिया है। ऐसे में जीव जन्तुओं के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
आपदा की दृष्टि से संवदेनशील है केदारघाटी
बता दें कि आपदा की दृष्टि से केदारघाटी काफी संवदेनशील है। यहां सबसे बड़ी आपदा वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा है, जिसमें हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि सैकड़ों लोग बेघर हो गए। इसके बावजूद भी सरकार और जिला प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। केदारघाटी में तीन जगहों पर स्टोन क्रेशन संचालित हो रहे हैं, जबकि 10 जगहों पर खनन का काम जोरों पर चल रहा है। इस कार्य में एनजीटी के मानकों को दरकिनार कर खनन माफिया मनमर्जी करने में लगे हैं। आपको बता दें कि मंदाकिनी नदी के दूसरी ओर पर रेत-बजरी उठाने को लेकर खनन माफियाओं ने मंदाकिनी नदी के प्रवाह को रोककर सड़क बना दी है, जबकि कई जगहों पर सड़क के बीच में पुलिया का निर्माण भी कर दिया है। जिसकी भनक तक प्रशासन को नहीं है। केदारघाटी के रामपुर, चन्द्रापुरी, बनियाड़ी, भटवाड़ी-सुनार, बुरूवा-भेंटी, जलई-सुरसाल, हॉट, कुंड, राऊलैंक में खनन का कार्य तेजी से चल रहा है। यहां जितना मर्जी खनन माफिया नदी का सीना चीरने में लगे हैं। मानकों के तहत खनन नहीं किया जा रहा है। खनन में मानक तय होने के बावजूद भी खनन माफिया अपनी मनमर्जी करने में लगे हैं। इसमें साफ तौर पर प्रशासन की मिलीभगत सामने आ रही है, जिससे खनन माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को जिला प्रशासन और खनन माफिया ठेंगा दिखा रहा है। मंदाकिनी नदी में चल रहा खनन भविष्य के लिए शुभसंकेत नहीं है।
भविष्य के लिए शुभसंकेत नहीं, मंदाकिनी नदी में खनन: पर्यावरणविद
केदारघाटी के रामपुर और चन्द्रापुरी में खनन माफियाओं ने बिना अनुमति के मंदाकिनी नदी पर सड़क का निर्माण कर दिया है। यहां जेसीबी और पोकलैंड मशीन की मदद से रातोंरात सड़क तैयार की गई। खनन माफियाओं का नदी के दूसरी ओर खनन का पट्टा स्वीकृत है। यहां पर नदी के बीच में बोल्डर डालकर ऊपर से मिट्टी बिछाई गई है। मंदाकिनी नदी में चल रहे खनन के धंधे से जहां सरकारी खजाने में वृद्धि हो रही है, वहीं जलीय जीव जंतुओं के अस्तित्व पर संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं, जो भविष्य के लिए शुभसंकेत नहीं हैं। ऐसे में मंदाकिनी नदी में चल रहे खनन से पर्यावरणविद भी खासे चिंतित हैं। पर्यावणविदों का कहना है कि प्रशासन की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। अब प्रशासन की ओर से मामले में जानकारी जुटाए जाने की बात कहकर अपनी अनदेखी पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है।
जलीय जीव जंतुओं पर पड़ रहा बुरा असर
पर्यावरणविद देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि हिमालयी नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र होता है, जिसमें सूक्ष्म जलीय जीव होते हैं, जो परस्पर आपस में जुड़े होते हैं। ये पानी को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। छोटी, बड़ी मछालियों के साथ ही नदियों में सूक्ष्म जीव होते हैं। इसके अलावा नदियों में वनस्पति की प्रजातियां भी होती हैं, जिन्हें शैवाल कहा जाता है। यह सूक्ष्म जीवों और मछलियों का भोजन होता है। नदियों में खनन होने से इनका भोजन खराब होने के साथ ही इनके अस्तित्व पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे इको सिस्टम को भी नुकसान पहुंचता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि नदियां जीवाश्म होती हैं। जल की जैव विविधता खत्म होने पर इसका कुप्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। हिमालयी नदियों में कई प्रकार की विलुप्त जलीय प्रजातियां पाई जाती हैं। खनन के कारण इन पर बुरा असर पड़ता है और जल प्रदूषण होता है। आगे उन्होंने कहा कि हिमालय से निकलने वाली मंदाकिनी नदी का अपना विशेष महत्व है, बावजूद इसके नदी में खनन किया जाना दुभाग्यपूर्ण है। यह भविष्य के लिए शुभसंकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी खजाने को भरने के लिए जलीय जीव जंतुओं को मारा जाना और इको सिस्टम को नुकसान पहुंचाना, कहां तक उचित है।
वहीं कांग्रेस ने इस मामले को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन धामी सरकार में खनन के पट्टे बांटे गये हैं, जिनमें एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। मंदाकिनी नदी के ऊपर सड़क बना दी गई है और प्रशासन को कोई खबर तक नहीं है। प्रशासन और सरकार की मिलीभगत से खनन माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। उन्होंने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है।
इधर, डीएम मनुज गोयल ने कहा कि मंदाकिनी नदी में सड़क बनाने का मामला अभी तक प्रशासन के संज्ञान में नहीं है। मामले में जांच की जायेगी और त्वरित कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
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