विलुप्त प्रजाति के पौधों के संरक्षण से बने वृक्ष पुरुष

0
225

बागेश्वर।(संवाददाता- मनोज टंगडियाँ): मन में कुछ करने का जज्बा हो तो, तरक्की उसके कदम चुमती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, बागेश्वर जनपद के मण्डलसेरा निवासी 55 वर्षीय वृक्ष पुरूष के नाम से विख्यात किशन सिंह मलडा ने, 32 साल पहले प्रकृति में विलुप्त हो रही औषधीय पौधो की प्रजातियों के संरक्षण के उद्देश्य से अपनी मां  देवकी के नाम से देवकी लघु वाटिका की शुरूवात कि। काल चक्र में चलते-चलते आज किशन सिंह मलडा की वाटिका में विलुप्त हो चुकी प्रजातियों के पौधों में, पाकड़ ,निरगुण्डी, सिवाई, कर्नाटक का तेज पत्ता, काली मूसली, मेहंदी, मेकाईली चम्पा महुआ, सहदेवी का फूल, अशोक के पेड़, धतुरा, आक सहित चन्दन और रूद्राक्ष, की प्रजाती को बड़ी मात्रा में अपनी देवकी लघु वाटिका में संरक्षण दिया गया हैं।

वृक्ष पुरूष किशन सिंह मलडा अब तक 06 लाख से अधिक पेड़ लगा चुके हैं और उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से भी वृक्ष पुरूष की उपाधि भी ले चुके हैं।

वृक्ष पुरूष किशन सिंह मलडा का कहना हैं कि मेरे द्वारा चन्दन की प्रजाती को और रूद्राक्ष की प्रजाती को विकसित किया गया है। जनपद बागेश्वर में ही 11 पेड़ चन्दन का बीज दे रहे हैं। सिर्फ आवश्यकता हैं, आग से इन पेड़ों को बचाने की, चन्दन और रूद्राक्ष भविष्य में अच्छा रोजगार देने वाली प्रजाति हैं। सिलिग से विलुप्त हो चुकी, प्रजाती को बचाने के लिए मैनें अपनी लघु वाटिका में एक जंगल बनाया हैं। भविष्य में मेरा काफल के जंगल बनाने का लक्ष्य हैं। पागर, अखरोट और नारंगी के जंगल शामा में विकसित किए गये हैं, जो वर्तमान में स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

https://devbhoominews.com Follow us on Facebook at https://www.facebook.com/devbhoominew…. Don’t forget to subscribe to our channel https://www.youtube.com/devbhoominews