/ Dec 03, 2024

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आज मनाया जा रहा है विश्व दिव्यांग दिवस, समानता, सम्मान और समावेशिता की अनोखी पहल

WORLD DISABILITY DAY: हर साल 3 दिसंबर को पूरी दुनिया में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज में दिव्यांगजनों के अधिकारों, उनकी समस्याओं और उनकी उपलब्धियों के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें यह समझने का अवसर देता है कि दिव्यांगता किसी व्यक्ति की क्षमता का मापदंड नहीं होती। सही अवसर और सहारा मिलने पर दिव्यांगजन भी बड़ी-बड़ी ऊंचाइयां छू सकते हैं और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

WORLD DISABILITY DAY
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WORLD DISABILITY DAY का इतिहास

विश्व दिव्यांग दिवस हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका इतिहास संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा है और इसकी शुरुआत दिव्यांगजनों के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हुई थी। इस दिवस की नींव 1981 में पड़ी, जब संयुक्त राष्ट्र ने ‘द इंटरनेशनल Year of Disabled Persons’ घोषित किया। इस पहल का उद्देश्य दिव्यांगजनों के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करना और उनके लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करना था। इसके बाद, 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक रूप से 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के रूप में घोषित किया।

WORLD DISABILITY DAY
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WORLD DISABILITY DAY 2024 की थीम 

इस दिवस का महत्व हर साल बदलते विषय के जरिए उजागर किया जाता है। हर वर्ष एक नई थीम के साथ इस दिवस को मनाया जाता है, जो दिव्यांगजनों के जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, तकनीकी सहायता, और उनके सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करती है। इस साल यानि 2024 में ये थीम है ” एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना “। सभी के लिए अधिक समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने में विकलांग व्यक्तियों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने के लिए एक वैश्विक आह्वान।

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दिव्यांगजन अक्सर शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच में कठिनाइयों का सामना करते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए कई योजनाएं और कानून बनाए हैं, जैसे कि “दिव्यांग अधिकार अधिनियम” और “सुगम्य भारत अभियान,” जिनका उद्देश्य दिव्यांगजनों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना है। लेकिन केवल कानून बनाना ही काफी नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन कानूनों का सही तरीके से पालन हो और हर दिव्यांग व्यक्ति तक इनका लाभ पहुंचे।

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