चैंपियन ने क्यों चलाई तीन गोलियां?

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राजनीति में कुछ ऐसे किस्से होते हैं जिन्हें काले अक्षरों से लिखा जाता है. स्वच्छ राजनीति में ऐसी घटनाएं गहरे दाग बन कर रह जाते हैं. आज हम पॉलिटिकल स्टोरी में उत्तराखंड राजनीति की उस घटना का जिक्र कर रहे हैं जिसमें एक मंत्री द्वारा दी गई डिनर पाट्री में सरे आम गोली चल गई थी. एक व्यक्ति भी इस गोली कांड में घायल हो गये थे, यहां तक की कुछ वरिष्ठ नेता भी इस गोलीबारी में बाल-बाल बच गये थे.

हम बात कर रहे हैं दिसंबर 2013 में तत्कालीन कैबनेट मंत्री हरक सिंह रावत के घर हुई डिनर पार्टी की. 2012 में उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया.विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने से हरीश रावत नाराज हो गये थे. फिर कांग्रेस में गुटबाजी भी लगातार देखने के मिल रही थी. हरीश रावत को जब मौका मिलता तो अपनी सरकार के खिलाफ लैटर बम फोड़ देते. तब मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खास बने हुए थे कैबनेट मंत्री हरक सिंह रावत. दिंसबर 2013 में सरकार ने शीतकालीन सत्र का आयोजन किया. 2013 जून में आई आपदा के बाद हर कोई सरकार को घेर रहा था. विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष भी अपनी सरकार पर निशाना साध रहे थे. अब इस विधानसभा सत्र से पहले कांग्रेस को सबसे जरूरत थी अपने विधायकों को साधने की. इसके के लिए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के सबसे खास कैबनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने एक प्लान तैयार किया.

सत्र से पहले 17 दिसंबर को कैबनेट मंत्री ने अपने आवास में एक शाही भोज का आयोजन किया. इस शाही भोज को राजनीतिक भाषा में डिनर डिप्लोमैसी कहा जाता है. इस डिनर डिप्लोमैसी में कांग्रेस के कई मंत्री और विधायक पहुंचे हुए थे. बस इंतेजार था मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के आने का, अब पार्टी का दौर जारी था और जैसे ही पार्टी में खानपुर विधायक कुवंर प्रणव सिंह चैंपियन की पार्टी में इंट्री हुई वैसे ही बीच पार्टी में धांय- धांय- धांय तीन गोली चल पड़ी पार्टी में अफरा- तफरी मच गई. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह हुआ क्या है. इस गोलीबारी में एक गोली वहां मौजूद कांग्रेस नेता और राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूरी को लग गई.

विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह गुंजवाल और मंत्री यशपाल आर्य के बीच से हवा को चीरती हुई गोली निकल गई और दोनों बाल- बाल बच गये. हरिद्वार से आये एक कांग्रेस कार्यकर्ता भी इस घटना में घायल हो गये. विवेकानंद खंडूरी के पांव में गोली लगी थी इसलिए वे बच गये और उन्हें तत्काल हॉस्पिटल ले जाया गया. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को जैसी ही इस घटना की सूचना मिली तो उन्होंने भी पार्टी में न आना ही उचित समझा. गोली चलने की सूचना मिलते ही देहरादून की सभी मीडिया हरक सिंह रावत के आवास पहुंच गई. फिर शुरू हुआ पूरे मामले को दबाने का दौर पार्टी में सभी मंत्री और विधायकों ने ऐसा व्यवहार किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं था. पार्टी के आयोजक हरक सिंह रावत ने तो साफ पल्ला झाड़ दिया और कह दिया कि तब वे अपने कमरे थे इसलिए उन्हें नहीं पता कि किसने गोली चलाई और क्यों गोली चलाई. वहां मौजूद मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, इंदिरा हृदयेश और अमृता रावत ने कुछ भी बोलने से इंनकार कर दिया.

ऐसा ही रवाया वहां मौजूद विधायक सुबोध उनियाल, ललिल फर्सवाण, सुंदरलाल मंद्रवाल, ललित तिवारी और राजेंद्र भंडारी का रहा. गोली से घायल हुए विवेकानंद खंडूरी भी अपने बयान में कह दिया कि उनके गोली नहीं लगी वे गिर गये थे इसलिए घायल हुए. फिर विपक्ष को भी बैठे बिठाये मुद्दा मिल गया और उन्होंने कांग्रेस सरकार को घेरना शुरू कर दिया. बढ़ते दवाब के बाद पुलिस ने कदम उठाया और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया. इस पूरे मामले में सब को पता था कि विधायक प्रणव सिंह चैंपियन ने गोली चलाई है लेकिन कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं था. लेकिन इस बीच कुछ दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने बयान दिया कि गोली प्रणव सिंह चैंपियन ने चलाई थी. तब जाके पुलिस ने प्रणव सिंह चैंपियन के खिलाफ केस दर्ज किया लेकिन उन्हें थाने से ही जमानत भी मिल गई.

इसके बाद यह पूरा मामला लंबित ही रहा, यहां विवादों में रहने वाले नेता हरक सिंह रावत की पार्टी भी विवादीत ही बन कर रह गई. आखिर में ये हुआ की शांत प्रदेश को अशांत करने वाली इस घटना को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी पूरी तरिके से शांत कर दिया.